नई दिल्लीः जगह के हिसाब से अब मिनरल वाटर के लिए अलग-अलग कीमत नहीं चुकानी होगी. उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने साफ किया है कि हवाई अड्डा हो, होटल हो या फिर मॉल, सभी जगह मिनरल वाटर बोतल का एक ही दाम होगा. अभी के समय में खुले बाजार में यदि मिनरल वाटर की एक लीटर वाली बोतल 15 से 20 रुपये में मिलती है तो उसी की कीमत पर हवाई अड्डे, बड़े होटल और मॉल वगैरह में 100 रुपये तक पहुंच जाती है. खास बात ये है कि अलग-अलग जगह पर एक ही ब्रांड के बोतल पर अलग-अलग दाम छपा होता है.
हवाई अड्डों, होटल या फिर मॉल वगैरह पर अलग दाम के साथ ये भी लिखा होता है कि खास तौर पर इसकी पैकेजिंग उक्त जगह के लिए की गयी है. हालांकि गुणवत्ता वगैरह में कोई अंतर नहीं होता. दूसरी ओर हवाई अड्डे, होटल या फिर मॉल वालों का कहना होता है कि बोतलबंद पानी जमा करने, सर्व करने की जगह का रखरखाव और सर्व करने पर होने वाले खर्च के मद्देनजर अलग कीमत रखनी पड़ती है.
फिलहाल, इस मामले में आ रही लगातार शिकायतों के मद्देनजर उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने एक के बाद चार टवीट जारी किया. इनमें कहा गया
- “एयरपोर्ट, होटल व माल सभी जगह एक रेट में मिलेगी मिनरल वाटर बोतल”
- “उपभोक्ता मंत्रालय के उपभोक्ता फोरम में बोतलबंद पानी की अलग-अलग जगहों पर वसूली जाने वाली कीमतों से जुड़ी शिकायतें बड़े पैमाने पर आ रही हैं”
- “शिकायतों से पता चला है कि कंपनियों द्वारा बाकायदा अलग प्रिंट रेट दर्ज किया गया था.इसका कंपनियों से मंत्रालय द्वारा जवाब भी मांगा गया है”
- “कंपनियों के हेल्पलाइन से लिंक होने से वे हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों का खुद ही संज्ञान भी ले रही हैं”
लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 के तहत पैकेज्ड कमोडिटिज रूल्स 2011 के छठे नियम के तहत बिक्री या बांटने के लिए जारी होने वाले हर पैकेज्ड सामान पर खुदरा कीमत लिखना जरुरी है. इस नियम के दायरे में बोतलबंद पानी भी शामिल है. इसी व्यवस्था की नियम संख्या 18(2) साफ कहा गया है कि अंकित मूल्य से ज्यादा कीमत पर सामान नहीं बेजा जा सकता, वहीं नियम संख्या 18(6) के तहत अंकित मूल्य से छेड़छाड़ मना है. इन सब का तोड़ निकालने के लिए कंपनिया विशेष तौर पर पैक की आड़ में ऊंची कीमत छापती हैं और इस प्रिटिंग के साथ सामान हवाई अड्डों, सिनेमाघरों और मॉल में बिक्री के लिए भेजा जाता है.
अब दिक्कत ये है कि नियमों में फेरबदल और उन्हे लागू कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की होती है. ऐसे में दोहरे कीमत को लेकर केंद्र सरकार सलाह जरुर दे सकती है, लेकिन उस पर वास्तविक में तभी अमल हो सकेगा जब राज्य सरकारें नियम में बदलाव करे और उसे लागू करे.
सिनेमाघरों, मॉल, हवाई अडडों जैसी जगहों पर ऊंची कीमत वसूले जाने का मुद्दा कई बार उपभोक्ता अदालतों में गया है और वहां पर फैसला उपभोक्ता के हक में ही गया है. कई बार ये टिप्पणी की गयी है कि एक ही सामान की दो अलग-अलग कीमत नहीं हो सकती. फिर भी ये व्यवस्था बदस्तूर जारी है. अब उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान के नए टवीट से ये मामला फिर गरमा गया है.