कौल श्रीनिवास, ‘वित्त मंत्रालय को लगता है कि बजट अनुमानों और संशोधित अनुमान में बहुत अधिक अंतर होता है। वित्त मंत्रालय ने इसलिए एम्स में अपने शुल्कों की समीक्षा का सुझाव दिया है।
वर्ष 1996 से शुल्कों में संशोधन नहीं हुआ है। एम्स के निदेशक ने हाल में एक बैठक बुलाई, जिसमें शुल्कों के संशोधन की व्यवहारिकता पर चर्चा की गई।’ वर्तमान में एम्स ओपीडी शुल्कों, विभिन्न विभागों की जांच, रेडियोलॉजी शुल्कों और अन्य शुल्कों के रूप में लोगों से कुल 101 करोड़ रुपये अर्जित करता है। उन्होंने कहा कि एम्स ने 300 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की मांग की है और एम्स वर्तमान में प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है।