सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) आर्थिक विकास के इंजन हैं. यह क्षेत्र कम पूंजी में ज्यादा रोजगार देता है.
नई दिल्ली: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) आर्थिक विकास के इंजन हैं. यह क्षेत्र कम पूंजी में ज्यादा रोजगार देता है. लेकिन कोरोना वायरस के चलते शुरू लॉकडाउन ने इन उद्यमों की कमर तोड़ दी है. ऐसे में ग्रोथ का इंजन ठप न पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए आत्मनिर्भर भारत मुहिम के तहत सरकार ने इस सेक्टर के लिए कई ऐलान किये हैं.
आइए जानते हैं कि सरकार ने एमएसएमई के लिए कौन-कौन से उपाय किये हैं.
1-सरकार ने इन्हें तीन लाख करोड़ रुपये का कोलेट्रल फ्री लोन देने की घोषणा की है. कोलेट्रल फ्री लोन का मतलब यह है कि अब बैंक उद्यमियों को अपने कारोबार को सुचारू रूप से चलाने के लिए कर्ज देते समय बदले में उनकी कोई दूसरी अचल संपत्ति गिरवी नहीं रखेंगे. सरकार अब इनके लोन की गारंटी लेगी.
इस तरह की लोन की अवधि चार साल की होगी. उद्यमियों को एक वर्ष तक मूलधन को चुकाने की जरूरत नहीं होगी. यह इस सेक्टर के लिए कुल लोन का 20 फीसदी होगा. एमएसएमई सेक्टर को बैंकों ने करीब 15 लाख करोड़ का कर्ज पहले ही दे रखा है. यह लोन 4 साल के लिए होगा. इसका लाभ 45 लाख इकाइयों को मिलेगा. 25 करोड़ तक का लोन उन एमएसएमई को मिलेगा जिनका टर्नओवर 100 करोड़ है. यह राहत 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का हिस्सा है, जो सरकार ने कोरोना से कराह रही इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए दिया है.
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2-सरकार ने इन उद्योगों के लिए फंड ऑफ फंड की भी घोषणा की. इस फंड ऑफ फंड का आकार 10000 करोड़ रुपये होगा. जो एमएसएमई विस्तार करना चाहते हैं उन्हें इस फंड ऑफ फंड से मदद मिलेगी.
3-सरकार ने इन उद्योगों के लिए 50,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी का इंतजाम करने का वादा किया है.
4-सरकार ने इन उद्योगों की परिभाषा भी बदली है. इससे उद्यमों को अपना आकार बढ़ाने में मदद मिलेगी. अब एमएसएमई के लिए निवेश की सीमा बढ़ाई गई है. साथ ही टर्नओवर को भी परिभाषा में शामिल किया गया है. सूक्ष्म उद्योग में अब वह उद्यम आएंगे जिनमें एक करोड़ रुपये का निवेश और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो. यह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है.
उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखा गया है जिन उद्योगों में निवेश 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक है. यह निवेश और टर्नओवर की सीमा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर में लागू होती है. इसके अलावा मध्यम उद्योग में मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्योग आएंगे जिनमें 20 करोड़ का निवेश और 100 करोड़ टर्नओवर है.
5-सभी एमएसएमई को 45 दिन में सभी बकाए का भुगतान सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम करेंगे. दरअसल, सरकार घरेलू उद्योगों बढ़ावा देने के लिए इन छोटे उद्योगों से सरकारी दफ्तरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी सामान खरीदती है. इसके अलावा सरकारी कंपनियों को भी इनके उत्पाद खरीदना अनिवार्य किया गया है.
6-सरकारी खरीद के लिए 200 करोड़ रुपये से कम के लिए ग्लोबल टेंडर नहीं होगा. इससे घरेलू एमएसएमई को टेंडर में भाग लेने का मौका मिलेगा. सभी एमएसएमई के लिए ई-मार्केट लिंकेज शुरू होगा. उन्हें प्रदर्शनी में शामिल होने के उपाय किए जाएंगे.
7-भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी देश के लाखों छोटे कारोबारियों को राहत दी है. केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को एसएमई को और तीन महीने की अवधि के लिए कर्ज चुकाने से मोहलत देने की घोषणा की. अब छोटे उद्यमी 31 अगस्त तक कर्ज चुकाने के लिए बाध्य नहीं होंगे.
इस ऐलान के बाद एसएमई के लिए मोरेटोरियम अवधि 6 महीने हो गई है. इस फैसले से उन सभी उद्यमियों को फायदा होगा जिन्होंने अपना उद्यम चलाने के लिए कर्ज ले रखा है. इस अवधि में लोन की किस्त न भरने से उद्यमी डिफाल्टर नहीं माने जाएंगे.