उन्नाव के बारासगवर में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने से कटान जारी है। बक्सर श्मशान घाट में नदी के बीच रेत के टीला डूब गया है। कटान होने से टीले पर दफनाए गए शव दूसरे दिन भी बहते रहे। डीएम के निर्देश पर बीघापुर एसडीएम रविवार शाम को श्मशान घाट पहुंचे।
बताया कि उन्हें तो कोई शव बहते हुए नहीं दिखा। मालूम हो कि तीन जिलों की सीमा होने से जिले के अफसर अपनी बला टाल रहे हैं। मालूम हो कि पिछले दिनों कोरोना व अन्य बीमारियों से मौतों का ग्राफ बढ़ा था। फतेहपुर और रायबरेली जिले की सीमा पर स्थित बीघापुर के बक्सर श्मशान घाट पर शव दफनाने के लिए जगह की कमी होने पर लोगों ने गंगा नदी के बीच स्थित रेत के टीले पर सैकड़ों शव दफनाए थे।
शव खुले होने और कुत्ते व अन्य जंगली जानवरों ने खींचकर शव इधर-उधर फैलाए तो संक्रमण का खतरा बढ़ गया था। रविवार को जलस्तर में कुछ कमी हुई तो कटान और तेज हुआ। मामला सुर्खियों में आया तो बीघापुर एसडीएम दयाशंकर पाठक रविवार दोपहर बाद बक्सर श्मशान घाट पहुंचे।
कुछ देर निरीक्षण करने के बाद वह पुलिस चौकी पहुंच गए। यहां मीडिया को बताया कि वह श्मशान घाट का निरीक्षण करके आए हैं। उन्हें एक भी शव बहते हुए नहीं दिखा है। बताया कि जिस टीले पर पूर्व में शव दफनाए गए थे वह जलस्तर बढ़ने से डूब गया है।
मीडिया कर्मियों के बैठाने पर नाविक को हिदायत
शनिवार को कवरेज करने गए मीडिया कर्मियों को टीले व आसपास बहते शवों की फोटो खींचने में मदद करने वाले मोटर बोट चालक को पुलिस ने सख्त हिदायत दी है। पोल न खुले इसके लिए रविवार को नावों को नदी में ले जाने पर रोक लगा दी गई है। मंदिर के पीछे सिर्फ एक मोटर बोट को रखा गया है। उसे भी पुलिस या किसी अन्य अधिकारी को आवश्यकता होने पर निकालने की हिदायत दी गई है।
बीघापुर तहसील एसडीएम दयाशंकर पाठक ने बताया कि जिस टीले पर शव दफनाए गए थे वह फतेहपुर जिले की बिंदकी तहसील क्षेत्र में आता है। उन्नाव जिले से इसका कोई वास्ता नहीं है। इसकी रिपोर्ट पहले ही उच्चाधिकारियों को दे चुके हैं।
फतेहपुर जिले की बिंदकी तहसील एसडीएम विजय शंकर तिवारी ने बताया कि रेत के जिस टीले पर शव दफनाए गए थे उसका कुछ हिस्सा रायबरेली जिले और कुछ हिस्सा उन्नाव जिले में है। वह भी अपनी रिपोर्ट दे चुके हैं।