पहले लोग स्वस्थ रहते थे,इसलिए कि उनका खानपान में देशी अनाज शामिल रहता था। चाइनीज और फ़ास्ट फ़ूड ने लोगो की सेहत बिगड़ कर रख दिया है। जाने देशी अनाज खाने के फायदे,,,,,,,,,
मडुआ के फायदे
मोटापा घटाने के लिए डाईटिंग के दौरान रागी मंडुआ आटे फायदेमंद है। मंडुआ रागी में फैट की मात्रा कम होती है। साथ में एमिनो अम्ल और रेशे बुहु मात्रा में होते हैं।
रागी मंडुआ में 80 प्रतिशत कैल्श्यिम की मात्रा पाई जाती है। रागी / मंडआ हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस होने से बचाने में सहायक है।
मंडुआ डायबिटीज पीड़िता के लिए उत्तम अनाज माना गया है। रागी मंडुआ में रिच फाईबर युक्त और शुगर फ्री अनाज है।
रागी मंडुआ में आयरन रिच मात्रा में मौजूद हैं। मंडुआ/रागी के आटे की रोटी और पत्तेदार हरी सब्जी लगातार 15-20 दिन मात्र खाने से रक्त की कमी तुरन्त दूर हो जाती है।
रक्तचाप बढ़ने पर नियंत्रण का काम करता हैं। रक्त चाप नियत्रंण करने के लिए रोज रागी मंडुआ की रोटी खायें। फिर 1 गिलास नींबू रस पानी पीयें। मंडुआ रागी और नींबू रक्तचाव समस्या को ठीक करने सहायक है।
माताओं में दूध की कमी होने पर रोज मंडुआ रोटी साग खाने से समस्या दूर हो जाती है। मंडुआ रोटी, हरी साग, अंगूर, दूध, फल खूब खायें। इससे माताओं में फोलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, विटामिनस मिनरलस की पूर्ति आसानी हो जाती है। रागी मंडुवा एक तरह से नेचुरल टॉनिक का काम करता है।
रागी – मंडआ खाने से पेट की गैस कब्ज की समस्या कम करने में सहायक और पाचन शक्ति सुचारू करने में सहायक है। रागी – मंडआ जल्दी पाचने वाला निरोग अनाज है। रागी मंडआ में फाईटोएसिड पाया जाता है।
रागी – मंडुआ जुकाम, सर्दी से होने वाले गले दर्द, गले में खरास को जल्दी ठीक करने में सहायक है। 1 चम्मच अदरक रस, 5-6 लौंग पीसकर आधा लीटर पानी में उबाले। फिर उबले पानी में आधा कटोरी मंडआं रागी आटा अच्छे से मिलाकर पकायें। गर्म-गर्म सूजी सेवन करने से गला दर्द, खरास जल्दी करने में सहायक है।
– रागी की रोटी खाने से और रागी त्वचा को रिच पोषण प्रदान करने में सहायक है। रागी फेस पैक, फेस मास्क त्वचा से दाग, धब्बे मिटाने में खास सहायक है।
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बाजरे से आयरन की कमी नही होती उसे अनीमिया नही होता , हिमोग्लोबिन तथा प्लेटलेट्स ऊँचे रहते हैं। बाजरा हमेशा देसी वाला ( तीन माही ) ही खाएं . संकर बाजरे ( साठी ) की गुणवता अच्छी नही होती। हालाँकि देशी बाजरे की उपज कुछ कम होती है परन्तु इसकी पौष्टिकता , नैरोग्यता व् गुणवता कई गुना अच्छी होती है।बाजरे में प्रोटीन व् आयरन प्रचुर मात्रा में होता है . इसमे कैंसर कारक टाक्सिन नही बनते है , जो की मक्का तथा ज्वार में बन जाते है । बाजरे की प्रकृति गरम होती है। अत : बाजरा खाने वालों को अर्थ्राइटिस , गठिया , बाव व दमा आदि नहीं होता। बाजरा खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है। बाजरे में उर्जा अधिक होती है जिससे बाजरा खाने वाले अधिक शक्तिशाली व् स्फूर्तिवान होते हैं।एनर्जी के लिए:
बाजरा खाने से एनर्जी मिलती है. ये ऊर्जा एक बहुत अच्छा स्त्रोत है. इसके अलावा अगर आप वजन घटाना चाह रहे हैं तो भी बाजरा खाना आपके लिए फायदेमंद होगा. दरअसल, बाजरा खाने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती है. जिससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है.
2. स्वस्थ दिल के लिए
बाजरा कोलस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम हो जाता है. इसके अलावा ये मैग्नीशियम और पोटैशियम का भी अच्छा स्त्रोत है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मददगार है.
3. पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक
बाजरे में भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक हैं. बाजरा खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती है.
4. डायबिटीज से बचाव
कई अध्ययनों में कहा गया है कि बाजरा कैंसर से बचाव में सहायक है. पर ये न केवल कैंसर से बचाव में सहायक है बल्कि इसके नियमित सेवन से डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है. डायबिटीज के मरीजों को इसके नियमित सेवन की सलाह दी जाती है.
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मक्का विटामिन ए, बी, ई और कई तरह के मिनरल्स जैसे आयरन, कॉपर, जिंक, मैग्नीज, सेलेनियम, पोटेशियम आदि का बहुत अच्छा स्रोत होता है। मक्का का कई रूप में सेवन किया जाता है लेकिन सर्दियों में नियमित मक्का का आटा खाना चाहिए। इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जो कोलन कैंसर की संभावना घटाता है। साथ ही फाइबर कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी कम कर दिल को स्वस्थ रखने का काम करता है। मधुमेह के रोगियों के लिए भी मक्का का आटा बहुत लाभकारी होता है। जानिए शहर की डॉइटीशियन पवित्रा श्रीवास्तव से मक्के की रोटी खाने के स्वास्थ्य लाभ…
हृदय को स्वस्थ रखें
मक्का का आटा कोलेस्ट्रॉल को कम कर कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का रिस्क कम करता है। इसमें ओमेगा-३ फैटी एसिड भी होता है, जो दिल को स्वस्थ बनाने का काम करता है। यह हाई बीपी की समस्या को कम कर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम करता है। नियमित मक्का का आटा खाने से शरीर में से बुरे कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम हो जाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ जाता है।
कैंसर की रोकथाम करें
कई तरह के अध्ययनों से सामने आया है कि मक्का एंटी-ऑक्सीडेंट्स का बहुत अच्छा स्रोत होता है, जो कैंसर की रोकथाम करने में महत्वपूर्ण होते हैं। मक्का में बीटा-क्रिप्टोजेंथिन भी होता है, जो फेफड़ों के कैंसर का रिस्क कम करता है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स लिवर और ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क भी कम करते हैं। इतना ही नहीं, मक्का का आटा कोलेस्ट्रॉल को कम कर मेटाबॉलिज्म को बूस्ट कर वजन घटाने में असरदार है।
स्किन के लिए
मक्का बीटा-कैरोटिन का भी बहुत अच्छा स्रोत होता है, जो कि शरीर में जाते ही विटामिन ए में बदल जाता है। दरअसल विटामिन ए आंखों और त्वचा के लिए बहुत जरूरी होता है। विटामिन ए बहुत स्ट्रॉन्ग एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है जो आंखों को कैटरेक्ट से बचाने का काम करता है। यह स्किन और म्यूकस मैम्ब्रेन को भी हेल्दी बनाता है। इतना ही नहीं, मक्का का आटा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
डायट्री फाइबर के रूप में मक्के की रोटी वजन नियंत्रण में मदद करता है और इसलिए मोटापा को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। फाइबर सामग्री की वजह से यह एक कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट भी है, जो आपको लंबे समय तक फुल रखता है।
मक्के की रोटी पाचन के लिए गुणकारी
मक्के की रोटी में दोनों घुलनशील और अघुलनशील फाइबर शामिल है। यह पाचन रोग में बहुत ही फायदेमंद है। यह कब्ज और बवासीर के साथ-साथ कोलन कैंसर जैसे पाचन समस्याओं को रोकने में मदद करता है।
खून की कमी को पूरा करे
एनीमिया विटामिन बी12 और फोलिक एसिड की कमी के कारण होता है। मकई में आयरन शामिल है, जो नए लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए जरूरी आवश्यक खनिजों में से एक है। आयरन की कमी से एनीमिया भी हो सकता है। टीबी के मरीजों को मक्के की रोटी खाना चाहिए। इससे खून बढ़ता है। इसके अलावा मक्के के दाने उबाल कर खाने से आमाशय मजबूत होता है।
कार्बोहाइड्रेट का स्रोत
मकई को स्टार्च सब्जी माना जाता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट की एक उच्च मात्रा होती है, जो आपको अल्पावधि और दीर्घकालिक ऊर्जा प्रदान करती है। ये मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के उचित कामकाज सुनिश्चित करता है। एक कप मकई 29 ग्राम कार्ब्स प्रदान करता है। यह विशेष रूप से एथलीटों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि उन्हें खेल के लिए और अधिक कार्ड्स की आवश्यकता होती है।
दिल की बीमारी के लिए
माना जाता है कि कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर एक एंटीथोजेनिक प्रभाव होता है। यह हृदय रोगों के खिलाफ की रक्षा करता है। मक्का हृदय स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक की संभावना कम हो सकता है।
अल्जाइमर रोग में में मदद करे
भुट्टा या मक्का थायमिन का एक अच्छा स्रोत है, जो कि ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ मस्तिष्क कोशिका / संज्ञानात्मक फ़ंक्शन के मध्य में एंजाइमी प्रतिक्रियाओं में एक अभिन्न अंग है। स्मृति के लिए जरूरी एसिटाइलकोलाइन, एक न्यूरोट्रांसमीटर के संश्लेषण के लिए भी इसकी आवश्यकता होती है और जिनकी कमी से मानसिक कार्य और अल्जाइमर रोग में उम्र से संबंधित हानि हो सकती है।
कैल्शियम के अलावा इसमें कॉपर और आयरन भी होता हैं जो की खून की कमी को दूर करने का कम करता है कॉपर और आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाते है जिससे एनीमिया का खतरा कम हो जाता है और शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती हैखाने में फाइबर का सेवन करने से वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलता है।
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ज्वार
में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। इसके सेवन करने से आपका वजन नहीं बढ़ता है और आप मोटापा से होने वाली की बीमारियों से बच सकते है।अगर आपको कब्ज की समस्या है तो ज्वार की रोटी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इसे खाने से कब्ज की समस्या से आराम मिलता है।
अगर आपको कब्ज की समस्या है तो ज्वार की रोटी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
इसे खाने से कब्ज की समस्या से आराम मिलता है।अगर आपको कब्ज की समस्या है तो ज्वार की रोटी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इसे खाने से कब्ज की समस्या से आराम मिलता है।ज्वार में एक से बढ़कर एक पौषक तत्व पाए जाते है। ज्वार में मिनरल, प्रोटीन, फ़ाइबर, पोटैशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन और विटमिन बी कॉम्प्लेक्स जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं
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जौ
गठिया की दिक्कत और जोड़ों में दर्द जौ के पानी का रोजाना सेवन करें इससे जरुर राहत मिलेगीगर्भावस्था के दौरान महिला के पैरों में अक्सर सूजन आ जाती है इसक सूजन को दूर करने के लिए नियमित रूप से जौ का पानी पीना चाहिए |
जौ पथरी रोग में भी बहुत लाभकारी होती है जौ का पानी पीने से पथरी निकल जाती है। पथरी के मरीज जौ से बनी चीजें जैसे-जौ की रोटी, धाणी, जौ का सत्तू लेना चाहिए। इससे पथरी निकलती है और दुबारा नहीं बनती है |
जौ का पानी शरीर को अंदर से भी डीटोक्स करता है यह खून साफ़ करने वाला अच्छा टॉनिक होता है |गले में सूजन, प्यास अधिक और जलन हो तो एक कप भरकर जौ पीस लें और फिर उन्हें दो गिलास पानी में आठ घण्टे भीगने दें। इसके बाद उबालकर पानी को छान लें।
हल्का गुनगुना होने पर रोजाना दिन में दो बार गरारे करें। लाभ होगा।जौ की रोटी के फायदे : इससे कब्ज, गैस नहीं बनती क्योंकि इसमें फाइबर अधिक होते है और यह पचने में आसान होती है |
इससे पेट कम करने में भी मदद मिलती है |एक कप जौ और कुछ सब्जियां काटकर एक लीटर पानी में उबालकर ठण्डाकर सूप की तरह पियें | कई बिमारियों में ठोस आहार मना किया जाता है यह उसकी कमी को पूरा करता है ।एसिडिटी में जौ के पानी में शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ होता हैं।
जौ और अडूसा को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में दालचीनी, तेजपात, इलायची का चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से एसिडिटी (अम्लपित्त) से होने वाली उल्टी तुरन्त दूर हो जाती है।
चीनी तथा जौ के आटे के बने लड्डू गठिया के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। इससे दर्द व सूजन दूर हो जाती है।बार-बार होने गर्भपात होने की समस्या को दूर करने के लिए, जौ के बारह ग्राम छने हुए आटे में समान मात्रा में तिल और शक्कर बारीक पीसकर शहद के साथ सेवन करें ।
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी जौ के पानी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है |जौ का पानी पीने से शरीर के भीतर मौजूद विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. जिससे चेहरे पर भी निखार आता है. साथ ही ये इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाए रखता है |
शरीर में किसी प्रकार की सूजन होने पर जौ का पानी उबालकर पीना फायदेमंद होता होगा।डायबिटीज रोगियों को जौ के आटे से बनी रोटियां जरुर खानी चाहिए क्योंकि इसमें फाइबर ज्यादा होते है इसके लिए