किंतु उनके इंटर्नशिप प्रमाणपत्र सत्यापन में फर्जी पाए जाने के बाद उन्हें पांच दिसंबर को पीजी में नामांकन के लिए हुई परीक्षा से वंचित कर दिया गया। पीड़ित छात्र अब इंटर्नशिप प्रमाणपत्र देने वाले को तलाश रहे हैं। जालसाजी का शिकार हुए मेडिकल के छात्रों ने बताया कि डा. राम नाम के व्यक्ति से वे मोबाइल पर बात करते थे जो अब बंद चल रहा है।
पता चला है कि यह नंबर आजमगढ़ जिले के लहरी सदर निवासी एक व्यक्ति के नाम से लिया गया है। जिसका नाम डा. राम नहीं है। छात्र जौनपुर, आजमगढ़, वाराणसी, लखनऊ आदि स्थानों पर डा. राम की खोज में जुटे हैं।
उधर, जिला अस्पताल में दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अलावा राजस्थान मेडिकल काउंसिल से भी प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए आए हैं। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसके पांडेय का कहना है कि वह इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराने के लिए दिल्ली और राजस्थान मेडिकल काउंसिल को पत्र लिख रहे हैं।