बता दे कि सोशल साइटों पर अनगिनत पोस्ट प्रतिदिन बिना रोकटोक के चुनाव प्रचार से संबंधित आ रहे हैं। इसका कोई हिसाब भी नहीं रख रहा है। इसके अलावा अमर्यादित पोस्ट भी चुनाव प्रचार से संबंधित आए दिन देखने और सुनने के को मिल रहे हैं। निर्वाचन आयोग ने इस पर अंकुश लगाए जाने के लिए यह कदम उठाया है। जिला निवार्चन अधिकारी निखिलचंद शुक्ला का कहना है कि कोई भी प्रचार सामग्री सोशल साइट या मीडिया में प्रकाशित करने के पूर्व उसकी निर्वाचन द्वारा गठित टीम से स्वीकृत जरुरी है साथ ही उस पर खर्च के लागत का भी पहले ही हिसाब देना पड़ेगा। इसके बाद ही मीडिया में कोई प्रचार सामग्री वैध मानी जाएगी अन्यथा संबंधित के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
आचार संहिता की जद में वाट्सएप ग्रुप
सोशल साइटों के जरिए के बढ़ते चुनाव प्रचार में प्रचलन से इसे इलेक्ट्रानिक मीडिया के रूप में देखा जा रहा है। निर्वाचन आयोग सोशल साइडों पर भी बिना परमिशन के चुनाव प्रचार किए जाने पर ग्रुप एडमिन के विरुद्ध चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है।
इसके लिए मीडिया मानिटरिंग एण्ड सर्टिफिकेशन कमेटी का भी गठन किया गया है जो इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ ही सोशल साइटों पर भी नजर रखेंगी। विधानसभा चुनाव को निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव कराए जाने को लेकर निर्वाचन आयोग सख्त नजर आ रहा है। सोशल साइटों के बढ़ते प्रचलन पर इसे भी इलेक्ट्रानिक मीडिया के समकक्ष माना गया है। इस पर भी किसी प्रत्याशी का प्रचार करना किसी ग्रुप एडमिन को भारी पड़ सकता है। इस पर भी किसी प्रत्याशी को चुनाव प्रचार करने के लिए पहले बनाई गई समिति से परमिशन लेना होगा तभी कोई सोशल साइटों का पोस्ट वैध माना जाएगा। वरना संबंधित के विरुद्ध चुनाव आचार संहिता का मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है।