आईपीओ के लिए महिलाओं-युवाओं में शेयर बाजार से जुड़ने की होड़, डीमैट खातों की संख्या 12 करोड़ के पार होगी

छोटे निवेशक, महिलाएं और युवा शेयर बाजार से दूर रहते आए हैं। लेकिन कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। आईपोओ से कम समय में होने वाली मोटी कमाई ने इस वर्ग को काफी आकर्षित किया है। यही वजह है कि पिछले वित्त वर्ष में 1.4 करोड़ से अधिक डीमैट खाते खुले जो करीब तीन गुना अधिक हैं। नए डीमैट खाते में महिलाओं की हिस्सेदारी 70 फीसदी से अधिक रही है। आने वाले समय में एलआईसी और पेटीएम समेत अच्छी कंपनियों के आईपीओ आने वाले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि छोटे निवेशक का रुझान और बढ़ेगा। इससे दो-तीन साल में 10 करोड़ से अधिक नए डीमैट खाते खुलने की उम्मीद है।

क्या है डीमैट खाता

शेयर बाजार से जुड़े निवेश के लिए जो खाता खोला जाता है उसे डीमैट खाता कहते हैं। इसमें निवेश का विवरण लाभ-हानि के साथ होता है। अगर आप शेयर बाजार में शेयर या शेयरों से जुड़े म्युअल फंड (इक्विटी फंड) खरीदना चाहते हैं तो इसके लिए डीमैट खाता होना जरूरी है। इसके अलावा गोल्ड म्यूचुअल फंड और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के लिए डीमैट होना चाहिए।

महिला निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी

शेयर बाजार में जुड़ने वाले नए निवेशकों में ज्यादातर मिलेनियल्स और महिलाएं हैं। आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले 2020-21 में 77 फीसदी अधिक महिलाएओं ने डीमैट खाता खोला। वहीं, वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में महिलाओं द्वारा डीमैट खाते खोलने में 66 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी।

शेयर नहीं, आईपीओ पर नजर

आईआईएफएफल के उपाध्यक्ष (करेंसी एंड कमोडिटी) अनुज गुप्ता का कहना है कि वर्तमान समय में जो डीमैट खाते खुल रहे हैं उन निवेशकों की नजर आईपीओ पर है। उनका कहना है कि पिछले एक साल में आए आईपोओ ने मोटा रिटर्न दिया है। उदाहरण के लिए सोमवार को जीआर इन्फ्रा और क्लीन साइंस के शेयर करीब 100 फीसदी ऊंचे दाम पर सूचीबद्ध हुए। ऐसे में जिन निवेशकों को आईपीओ मिला उन्हें एक दिन में 100 फीसदी का रिटर्न मिला। उनका कहना है कि इससे हुई कमाई का उपयोग ज्यादातर नए निवेशको दूसरे आईपीओ के लिए करेंगे। आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में 6.5 करोड़ डीमैट खाते हैं जिसकी संख्या बढ़कर अगले साल 12 करोड़ पहुंचने की उम्मीद है।

युवाओं की इसलिए बढ़ रही भागीदारी

गुप्ता का कहना है कि आईपीओ के लिए आवेदन के बाद सभी को वह नहीं मिलता बल्कि लॉट्री की तरह उसका आबंटन होता है जो एआई के जरिये होता है। ऐसे में अब परिवार में 18 साल से अधिक उम्र के सभी की डीमैट खाता खुलवाने पर जोर है। इससे आईपीओ मिलने की संभावना बढ़ जाती है। यही वजह है कि युवाओं की भागीदारी आईपीओ में बढ़ रही है।

कम आय के लोगों का बढ़ा आकर्षण

बाजार से शेयरों की खरीद करना और मुनाफे के लिए लंबा इंतजार करना आमतौर पर कम कमाई वाले छोटे निवेशकों के लिए ज्यादा आकर्षण वाला नहीं रहा है, लेकिन आईपीओ ने पासा पलट दिया है। गुप्ता का कहना है कि आईपीओ में कम पूंजी लगाकर मोटी कमाई होने से कम आय वाले छोटे निवेशक अब ज्यादा बाजार से जुड़े रहे हैं।

एक क्लिक पर डीमैट खाता

विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार नियामक सेबी ने पिछले कुछ वर्षों में डीमैट से जुड़े नियमों को बेहद आसान बनाया है जिसके तहत घर बैठे एक क्लिक पर खाता खुल रहा है। केवाईसी प्रक्रिया को सरल करने, मोबाइल एप के जरिये ट्रेडिंग की सुविधा और इंटरनेट के विस्तार ने नए निवेशकों को बाजार से तेजी जोड़ने का काम किया है।

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