जिले में कलेजे के टुकड़े असुरक्षित हैं। ज्यादातर निजी विद्यालयों में बेहतर शिक्षा एवं सुविधा के नाम पर अभिभावकों का जमकर शोषण किया जा रहा है। लेकिन सुविधाएं नदारद हैं। आलम यह है कि कई विद्यालयों में जर्जर हो चुके वाहन चलाए जा रहे हैं, तो सभी बड़े नाम वाले विद्यालयों में मानक से अधिक छात्रों को वाहनों में बैठाकर ढोया जा रहा है। अधिकांश स्कूल छात्रों को ढोने के लिए टेंपो, टाटा मैजिक और टाटा सूमो का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो जर्जर स्थिति में पहुंच गए हैं। हालत यह है कि जिस वाहन में सात बच्चों के बैठने की सीट है, उसमें 16 से 20 बच्चों को बैठाया जा रहा है। इसके लिए स्कूलों को खुली छूट भी दी गई है। वाहन चालकों पर भी नकेल नहीं कसा जा रहा है।
जनपद के निजी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को घर से लाने और स्कूल ले जाने के लिए सैकड़ों प्राइवेट वाहन चल रहे हैं। कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश स्कूलों में बच्चों को ढोने वाले टेंपो, टाटा मैजिक, पिकप, टाटा सूमो आदि वाहन जर्जर अवस्था में हैं। विद्यालय संचालक तथा वाहन चालक छात्रों की जान को जोखिम में डाल उन्हें प्रतिदिन लाने और ले जाने का काम करते हैं। जिस वाहन में सात से आठ बच्चों के बैठने की क्षमता है, उन वाहनों में मानक से अधिक 16 से 20 बच्चों को बैठाया जा रहा है। कुछ वाहन चालकों ने लकड़ी का पटरा लगाकर 25 छात्रों को भी बैठा रहे हैं। स्कूलों से छुट्टी के दौरान आप नगर के किसी भी मार्ग पर खड़े हो जाए तो यह नजारा आपको देखने को मिल जाएगा। कई स्कूलों में टाटा सूमो, विक्रम, मारुति वैन और पिकप में छात्र-छात्राएं खड़े होकर भी आते-जाते दिखाई देंगे।
गुरुवार को दिन में करीब ढाई बजे बच्चों से भरी एक पिकप गाजीपुर-वाराणसी मार्ग के लंका के पास से गुजर रही थी। वाहन में एक तरफ जहां आगे के हिस्से में आड़े-तीरछे कई बच्चे बैठे थे, वहीं कई खड़े भी थे। पिछले हिस्से में करीब 18 की संख्या में बच्चे बैठाए गए थे। अपराह्न करीब सवा दो बजे तुलसीसागर मुहल्ला के पास से गुजर रहे एक टाटा सूमो में भी पीछे के साथ ही आगे भी बच्चे खड़े थे।
जनपद के निजी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को घर से लाने और स्कूल ले जाने के लिए सैकड़ों प्राइवेट वाहन चल रहे हैं। कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश स्कूलों में बच्चों को ढोने वाले टेंपो, टाटा मैजिक, पिकप, टाटा सूमो आदि वाहन जर्जर अवस्था में हैं। विद्यालय संचालक तथा वाहन चालक छात्रों की जान को जोखिम में डाल उन्हें प्रतिदिन लाने और ले जाने का काम करते हैं। जिस वाहन में सात से आठ बच्चों के बैठने की क्षमता है, उन वाहनों में मानक से अधिक 16 से 20 बच्चों को बैठाया जा रहा है। कुछ वाहन चालकों ने लकड़ी का पटरा लगाकर 25 छात्रों को भी बैठा रहे हैं। स्कूलों से छुट्टी के दौरान आप नगर के किसी भी मार्ग पर खड़े हो जाए तो यह नजारा आपको देखने को मिल जाएगा। कई स्कूलों में टाटा सूमो, विक्रम, मारुति वैन और पिकप में छात्र-छात्राएं खड़े होकर भी आते-जाते दिखाई देंगे।
गुरुवार को दिन में करीब ढाई बजे बच्चों से भरी एक पिकप गाजीपुर-वाराणसी मार्ग के लंका के पास से गुजर रही थी। वाहन में एक तरफ जहां आगे के हिस्से में आड़े-तीरछे कई बच्चे बैठे थे, वहीं कई खड़े भी थे। पिछले हिस्से में करीब 18 की संख्या में बच्चे बैठाए गए थे। अपराह्न करीब सवा दो बजे तुलसीसागर मुहल्ला के पास से गुजर रहे एक टाटा सूमो में भी पीछे के साथ ही आगे भी बच्चे खड़े थे।