लपटें उठती देख मौके पर हड़कंप मच गया। गुहार पर देखते ही देखते बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर जुट गए। उन्होंने आग पर काबू पाने का प्रयास शुरू कर दिया। आग की विभीषिका का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लपटें बगल स्थित हीरा के कच्चे मकान को भी चपेट में ले लिया।
लपटें उठती देख इर्दगिर्द के गांव से भी बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए। सभी अलग-अलग तरीके से आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहे थे। कोई बाल्टी से आग बुझा रहा था तो कोई अन्य माध्यम से। लगभग एक घंटे के अथक प्रयास के बाद आग पर काबू पाया गया लेकिन तब तक आशा, हीरा, लालू व श्रीराम के घर का पूरा सामान जलकर राख हो चुका था।
बताया जाता है कि आग से अनाज, कपड़ा, रजाई आदि पूरी तरह राख हो गए। मात्र उसमें रहने वाले लोगों के शरीर पर कपड़े ही शेष रह गए थे। इससे पीड़ित परिवारीजनों में रोना-पीटना मच गया। घटना को लेकर संवेदनहीनता का आलम यह कि सूचना के बावजूद कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच सका था।
पूर्व प्रधान सतीराम यादव, राजाराम व सतीशचंद्र ने नाराजगी जताते हुए कहा कि आग के चलते चार लोगों के घर का पूरा सामान जलकर राख हो गया लेकिन प्रशासन की तरफ से अब तक किसी प्रकार की सहायता नहीं उपलब्ध कराई जा सकी है। उन्होंने पीड़ित परिवार को अविलंब आवश्यक सहायता दिलाने की मांग की। उधर अपर जिलाधिकारी रामसूरत पांडेय ने बताया कि राजस्वकर्मियों को गांव भेजा गया है। रिपोर्ट आने का इंतजार है।