प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर को अहमदाबाद के साबरमती में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ इस प्रोजेक्ट का भूमि पूजन करेंगे। बुलेट ट्रेन भारतीय रेलवे में वह परिवर्तन लेकर आएगी, जो मारुति कार ऑटोमोबाइल क्षेत्र में लेकर आई थी। इस कदम से रेलवे का कायाकल्प हो जाएगा। ये बात रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कही। वह मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के बारे में बता रहे थे। दो दिन बाद इस परियोजना का क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा।
रेल मंत्री गोयल ने संवाददाता सम्मेलन में बुलेट ट्रेन परियोजना की खूबियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मारुति कार आने के बाद 30 साल में भारत का ऑटोमोबाइल क्षेत्र एकदम बदल गया। इसी तरह का परिवर्तन बुलेट ट्रेन आने के बाद रेलवे में दिखाई देगा।
मारुति से शुरुआत होने के बाद अब भारत की सड़कों पर एक से बढ़कर एक आधुनिक कार दिखाई देती है। परंतु रेलवे में ऐसा नहीं हुआ। वह आज भी पुरानी तकनीक पर चल रही है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आते ही देश में बुलेट ट्रेन लाने का निश्चय किया। ताकि रेलवे में भी नई से नई तकनीक आ सके। बुलेट ट्रेन आने से रेलवे में बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे। इससे आधुनिक तकनीक आने के साथ अर्थव्यवस्था को लाभ के साथ रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे।
शिंकांशेन ट्रेन सबसे सुरक्षित
एक बार बुलेट ट्रेन आने से रेलवे में एक नया नजरिया पैदा होगा। भारत बुलेट ट्रेन की लागत कम कर विदेशों में उसका निर्यात कर सकता है। इससे अन्य ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने तथा उन्हें सुरक्षित चलाने की प्रेरणा भी मिलेगी। क्योंकि आज तक एक भी दुर्घटना न होने के कारण जापानी शिंकांशेन बुलेट ट्रेन तकनीक विश्व में सर्वाधिक सुरक्षित मानी जाती है।
50 साल का सबसे सस्ता कर्ज
गोयल के मुताबिक, पीएम मोदी के प्रभाव के कारण भारत को बुलेट ट्रेन के लिए 0.1 फीसद की नगण्य ब्याज दर पर कर्ज मिला है। यह अनुदान जैसा ही है। 50 सालों में शायद ही किसी परियोजना के लिए इतनी सस्ती दर पर ऋण मिला होगा। इस कारण बुलेट ट्रेन की लागत काफी कम होगी।
आगे चल कर जब कई बुलेट ट्रेन परियोजनाएं बनेंगी तो लागत और घटेगी। उसी तरह जिस तरह एलईडी बल्बों की लागत घटी है।
जापान ने संजीव सिन्हाको सौंपी जिम्मेदारी
जापान रेलवे ने भारत के संजीव सिन्हा को बुलेट ट्रेन परियोजना का सलाहकार बनाया है। संजीव राजस्थान के रहने वाले हैं और पिछले 20 साल से जापान में रह रहे हैं। अपनी नियुक्ति के बाद सिन्हा ने कहा, “मैं दो सरकारों के बीच सेतु का काम करूंगा। यह महत्वपूर्ण मगर काफी उलझाने वाली है। राजनीतिक इच्छा को जमीन पर उतारने में बहुत कुछ लगता है।”रातोरात नहीं बना सकते : सिन्हा ने कहा कि तेज रफ्तार वाली बुलेट ट्रेनों को रातोरात नहीं बनाया जा सकता, इसके लिए सावधानी भरी प्लानिंग जरूरी है।
सालाना शिखर बैठक के लिए बुधवार को पहुंचेंगे आबे
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे दो दिनी भारत यात्रा पर 13 सितंबर को आ रहे हैं। इसी दिन वे पीएम मोदी के साथ 12 वीं सालाना शिखर बैठक में भाग लेंगे। इसमें दोनों नेता बहुआयामी रिश्तों को नई रफ्तार देंगे। शिखर बैठक गुजरात की राजधानी गांधीनगर में होगी।
यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब उत्तर कोरिया को लेकर पूर्वी एशिया में तनाव चरम पर है। उत्तर कोरिया हाइड्रोजन बम का परीक्षण करने के साथ ही जापान के ऊपर से बैलेस्टिक मिसाइल दाग चुका है। दक्षिण चीन सागर को लेकर जापान का चीन से भी टकराव बढ़ रहा है।
10 बार मिल चुके दोनों नेता
मोदी-आबे की यह चौथी शिखर बैठक है। दोनों नेता पिछले तीन साल में 10 बार मिल चुके हैं। उनकी पिछली मुलाकात जर्मनी के हैम्बर्ग में जुलाई में जी-20 देशों की बैठक के मौके पर हुई थी, जबकि पीएम मोदी गत वर्ष नवंबर में जापान गए थे।