इससे पहले 12 अक्टूबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि केंद्रीय कर्मचारियों को यात्रा अवकाश रियायत (LTC) का कैश वाउचर्स दिया जाएगा. अब वित्त मंत्रालय ने कहा है कि राज्य सरकारों के कर्मचारियों और निजी कर्मचारियों को भी एलटीसी के समकक्ष जो भी भत्ता मिलता हो, उस पर इनकम टैक्स का लाभ मिलेगा.
वित्त मंत्रालय ने गैर केंद्रीय कर्मचारियों को भी राहत देते हुए गुरुवार को यह ऐलान किया कि उन्हें भी एलटीसी की तरह के खर्च के बदले आयकर में छूट का लाभ दिया जाएगा और उन्हें इसके लिए यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी. आइए जानते हैं कि क्या है एलटीसी में छूट और क्या है इस ऐलान का मतलब.
LTC कैश वाउचर्स का हुआ था ऐलान
गौरतलब है कि इसके पहले 12 अक्टूबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक महत्वपूर्ण ऐलान करते हुए कहा था कि केंद्रीय कर्मचारियों को यात्रा अवकाश रियायत (LTC) का कैश वाउचर्स दिया जाएगा. इसका मतलब यह था कि एलटीसी के बदले नकद भुगतान होगा जो कि डिजिटल होगा. यह 2018 से 2021 के लिए होगा. इसके तहत ट्रेन या प्लेन के किराये का भुगतान होगा और वह टैक्स फ्री होगा. इसके लिए कर्मचारी का किराया और अन्य खर्च तीन गुना होना चाहिए. इसी तरह सामान या सेवाएं जीएसटी रजिस्टर्ड वेंडर से लेना होगा और भुगतान डिजिटल होना चाहिए.
कर्मचारी इस कैश वाउचर की मदद से ऐसी गैर-खाद्य चीजें खरीद सकेंगे, जिस पर जीएसटी कम से कम 12 फीसदी लगता हो. सरकार का कहना है कि कोरोना संकट को देखते हुए कैश वाउचर देने का फैसला लिया गया है.
कब तक खर्च कर सकते हैं राशि?
दरअसल, प्रत्येक चार साल में सरकार अपने कर्मचारियों को दो कैटेगरी में एलटीसी देती है. इस स्कीम्स के तहत कर्मचारी को देश भर में भ्रमण की छूट होती है. कर्मचारियों को 4 साल के अंदर दो बार उनके गृह राज्य की यात्रा के लिए LTC का भुगतान किया जाता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से कर्मचारियों को LTC के बदले नकद वाउचर देने का फैसला लिया गया है. कर्मचारी इस कैश वाउचर का इस्तेमाल 31 मार्च 2021 तक कर पाएंगे
अब निजी और राज्य कर्मचारियों को भी फायदा
अब वित्त मंत्रालय ने कहा है कि राज्य सरकारों के कर्मचारियों, राज्य सरकारों के उद्यमों के कर्मचारियों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी एलटीसी के समकक्ष जो भी भत्ता मिलता हो, उस पर इनकम टैक्स का लाभ मिलेगा. गौरतलब है कि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को लीव ट्रैवल अलाउंस यानी एलटीए मिलता है.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘अन्य कर्मचारियों को भी लाभ पहुंचाने के लिए यह तय किया गया है कि उन्हें भी एलटीसी फेयर के समकक्ष मिलने वाले नकद भुगतान पर इनकम टैक्स की छूट दी जाए.’
एलटीए के तहत निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को खुद या अपने परिवार को किसी हॉलिडे टूर या होमटाउन जाने के लिए किराये का रीइंबर्स होता है. यह राशि कर्मचारी के बेसिक सैलरी के मुताबिक होती है. इस रीइंबर्समेंट पर टैक्स छूट मिलता है यानी यह उनकी टैक्सेबल आय से घट जाती है. लेकिन अब निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी और वे जीएसटी बिल के साथ सामान खरीदकर टैक्स छूट का लाभ उठा सकेंगे.
वित्त मंत्रालय के बयान के मुताबिक गैर केंद्रीय कर्मचारियों के मामले में प्रति व्यक्ति अधिकतम 36,000 रुपये के एलटीसी समकक्ष रकम को ही टैक्स छूट का फायदा मिलेगा.
कितना खर्च करना होगा और क्या हैं शर्तें
इस छूट के लिए शर्तें वहीं हैं, जो एलटीसी के मामले में तय की गई हैं. यह खर्च साल 2018 से 2021 तक के ब्लॉक में होना चाहिए. कर्मचारी को इस रकम के तीन गुना के बराबर राशि की गैर खाद्य वस्तुएं या सेवाओं (जैसे टीवी, फ्रिज जैसे व्हाइट गुड्स, होटल में ठहरने का किराया आदि) पर खर्च करना होगा.
यह खर्च ऐसी वस्तुओं या सेवाओं पर करना होगा जिस पर जीएसटी कम से कम 12 फीसदी लगता हो. यह खर्च नकद नहीं बल्कि डिजिटल तरीके से करना होगा. कर्मचारी को इसके लिए बाकायदा ऐसा बिल लेना होगा जिस पर दुकानदार या संस्थान का जीएसटी नंबर दर्ज हो. यह खरीद अब से मार्च 2021 तक होनी चाहिए.
कम खर्च किया तो क्या होगा
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अगर कोई कर्मचारी पात्र एलटीसी से कम खर्च करता है तो उसी अनुपात में उसका इनकम टैक्स लाभ भी कम हो जाएगा. ध्यान रहे कि इस साल से लागू नए टैक्स स्लैब को अपनाने वाले लोगों को इस छूट का लाभ नहीं मिलेगा.
मान लीजिये किसी कर्मचारी ने चार साल में कुल 80,000 रुपये का एलटीए या एलटीसी के समकक्ष योजना के तहत खर्च किया है. तो उसे टैक्स छूट का लाभ लेने के लिए 31 मार्च तक कम से कम 2.40 लाख रुपये खर्च करने होंगे. अब अगर कोई कर्मचारी 1.80 लाख रुपये ही खर्च कर पाता है तो उसके 60 हजार रुपये तक (यानी 75 फीसदी) के एलटीए पर ही टैक्स छूट का लाभ मिलेगा.