अफगानिस्तान में तालिबान का खूनी खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। अफगानिस्तान के मध्य प्रात गजनी में मलिस्तान जिल के निवासियों ने बताया है कि तालिबान ने वहां नागरिकों और सुरक्षा बल के सदस्यों समेत 43 लोगों की हत्या कर दी थी। टोलो न्यूज के मुताबिक, गजनी की एक नागरिक, समाज कार्यकर्ता मीना नादेरी ने रविवार को काबुल में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मलिस्तान जिले में प्रवेश करने के बाद तालिबान लड़ाकों ने मार-काट शुरू कर दी और उन नागरिकों को मार डाला जो लड़ाई में शामिल नहीं थे।” निवासियों ने बताया कि नागरिकों को उनके बच्चों के आगे बंदी बना लिया गया और फिर गोलियों से मार डाला। बता दें कि इससे पहले तालिबान ने कंधार प्रांत में 100 लोगों की बेदर्दी से हत्या कर दी थी।
नादेरी ने मलिस्तान के निवासियों ने बताया, उन्होंने लोगों के घरों पर हमला किया और उनकी संपत्ति लूटने के बाद, घरों को जला दिया। मलिस्तान जिले के केंद्र में, उन्होंने दुकानों को भी नष्ट कर दिया और लूट लिया।” तालिबान ने मलिस्तान के निवासियों के दावे को खारिज कर दिया है।
टोलो न्यूज के अनुसार, हाजी नादिर ने कहा कि उनके बेटे रमजान अली, 29, और इशाक अली, 31, तालिबान द्वारा 10 दिन पहले मारे गए थे और वे सरकारी कर्मचारी या देश के सुरक्षा बलों के सदस्य नहीं थे। नादिर ने कहा कि वे अपने परिवारों के साथ मलिस्तान छोड़ने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि इलाके में लड़ाई बढ़ गई थी।
मारे गए पुरुषों की पत्नियों ने कहा कि तालिबान ने उनके बच्चों के सामने उनके पतियों की आंखों पर पट्टी बांध दी, उन्हें इलाके की एक मस्जिद के पास ले गए और फिर “उन पर गोलियां चला दीं।”
टोलो न्यूज ने बताया कि मारे गए पुरुषों के पांच बच्चे हैं, जो अब काबुल में हैं और उनमें से सबसे बड़ा सात साल का है। जो लोग मलिस्तान में लड़ाई के बाद विस्थापित हुए हैं, उन्होंने यह भी कहा है कि तालिबान ने लोगों से भोजन एकत्र किया और एक घोषणा जारी कर कहा कि वे “इस्लामी अमीरात” नियमों के आधार पर लोगों, विशेषकर महिलाओं के साथ व्यवहार करेंगे।
टोलो न्यूज ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि तालिबान के हमले के बाद पिछले 10 दिनों में कम से कम 3,000 लोग मलिस्तान से विस्थापित हुए हैं।