अधिकारियों की लापरवाही से किसानों के रजिस्ट्रेशन के बिना बिहार में जैविक खेती पर लग सकता है ग्रहण

बिहार में अधिकारियों की लापरवाही से राज्य में चल रही जैविक खेती योजना पर ग्रहण लग सकता है। यह योजना यदि फेल हुई तो किसानों की दो साल की मेहनत पर भी पानी फिर जाएगा। जैविक खेती करने वाले किसानों का निबंधन नहीं होने से कृषि विभाग ने भी यह आशंका जताई है। लिहाजा विभाग ने अधिकारियों को किसानों के निबंधन के लिए दस जनवरी तक का समय दिया है। 

 केन्द्र सरकार ने बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी (बसोका) को प्रमाणण एजेंसी के रूप में मान्यता दी तो किसानों में एक नई उम्मीद जगी थी। उन्हें लगा कि इसके लिए सिक्किम की सरकरी एजेन्सी का अब सहारा लेने की जरूरत नहीं होगी। लेकिन, पहले ही साल इस बदलाव के कारण परेशानी सामने आने लगी। समय बीतने को है और आधे किसानों का भी निबंधन नहीं हुआ है। जैविक कॉरीडोर के 13 जिलों में किसानों का 209 समूह दो साल से जैविक खेती में लगा है। अब उनके सी1 सर्टिकेट देने का समय आ गया है। मार्च में वित्तीय वर्ष समाप्त होने के पहले उन्हें अनुदान भी मिल जाना चाहिए। दोनों काम निबंधन के बिना नहीं होगा और बसोका में मात्र 92 किसान समूहों का ही निबंधन हो सका है।

 स्थिति की जानकारी मिली तो कृषि निदेशक आदेश तितरमारे ने दस जनवरी तक सभी समूहों का हर हाल में निबंधन करने का निर्देश दिया है। जिलों को भी निर्देश दिया है कि वह अपने जिले के किसान समूहों का निबंधन कराएं। साथ ही निर्देश में कहा है कि अगर निबंधन नहीं हुआ तो योजना का उद्देश्य ही फेल हो जाएगा। किसानों को अनुदान भी नहीं मिल पाएगा। 

अनुदान के लिए निबंधन होना जरूरी
राज्य सरकार ने जैविक कॉरीडोर का विस्तार करते हुए इसमें 13 जिलों को शामिल किया है। पटना, नालंदा, बक्सर, भोजपुर, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर, लखीसराय, खगड़िया, कटिहार जिलों में किसान समूह बनाकर बड़े पैमाने पर जैविक खेती करने लगे हैं। इसके लिए सरकार किसान को प्रति एकड़ 11 हजार 500 का अनुदान देती है। एक किसान को अधिकतम ढाई एकड़ की खेती के लिए अनुदान मिलता है। इसके लिए किसानों के समूह का निबंधन होना जरूरी है। 

खर्च प्रति हेक्टेयर दो हजार रुपये अभी भुगतान  सरकार कर रही है 

  • सर्टिफिकेशन प्लॉट का होता है उत्पाद का नहीं
  • किसान एजेन्सी के पास जैविक खेती वाले भूखंड का निबंधन करायेंगे
  • एजेन्सी किसानों को प्रशिक्षित करेगी, क्या करना है और क्या नहीं- यह बताया जाएगा
  • समय-समय पर एजेन्सी के निरीक्षक खेतों की जांच करेंगे
  • तीन साल तक हर फसल की मॉनिटरिंग के बाद प्लॉटों को मिलेगा सर्टिफिकेट

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com