कोरोना महामारी के इस दौर में चिकित्सीय स्टाफ ने अपना सब कुछ झोंका हुआ है। इनमें नर्स बेहद अहम भूमिका निभा रही हैं। जान पर खेलकर मरीजों का इलाज करने में मदद कर रही हैं। अपने घरों से दूर, परिवार से दूर रहकर भी अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ कर रही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस है। इस दिन इनकी सेवा को याद करना बहुत जरूरी है, क्योंकि बिना नर्सिंग स्टाफ के इस लड़ाई को लड़ना कतई मुमकिन नहीं है। ये चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। इनकी सहायता और सेवा के लिए ‘धन्यवाद’ शब्द भी छोटा लग रहा है।
परिवार से दूर रहना पड़ता है
नर्स शिल्पी वर्मा का कहना है कि ड्यूटी के दौरान परिवार से दूर रहना पड़ता है। क्या करें, बीमारी और जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। एहतियात के साथ फर्ज भी जरूरी है।
ढाई साल की बच्ची से दूर
नर्स सुनीता यादव की ढाई साल की बेटी है। उसे इन्होंने अपनी माता के पास छोड़ा हुआ है। ड्यूटी के कारण ऐसा करना पड़ता है। उनका कहना है कि बेटी से मिले कई-कई दिन बीत जाते हैं।