अपनी शादी साबित करने के लिए दोनों बहनों ने यूनिवर्सिटी में अपनी शादी का कार्ड आवेदन के साथ जमा कराया है। इसका खुलासा यूनिवर्सिटी से आरटीआई के तहत मिली जानकारी में हुआ है। बस में तीनों युवकों पर छेड़छाड़ और मारपीट का आरोप लगाने वाली दोनों बहनें खरखौदा के राजकीय कॉलेज में पढ़ती थीं। सूत्रों की माने तो वहां दोनों बहनों का व्यवहार सही नहीं था, जिस कारण कॉलेज प्रशासन का रवैया इनके प्रति सख्त हो गया था।
इसलिए दोनों बहनों ने अपना माइग्रेशन रोहतक आईसी कॉलेज में करने के लिए यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया। एप्लीकेशन के साथ उन्होंने अपनी शादी का कार्ड लगाया, जिसमें दोनों की शादी रोहतक के प्रेमनगर निवासी दीपक और प्रवीण के साथ पांच फरवरी, 2014 को हुई दिखाई गई है। जबकि उनकी शादी नहीं हुई है। एडवोकेट प्रदीप मलिक ने बताया कि इसकी सूचना मिलने पर उन्होंने यूनिवर्सिटी में एक आरटीआई लगाई थी, जिससे मिली जानकारी से यह बात साबित हुई है।
दोनों बहनों की ओर से दी गई शिकायत के चार दिन बाद दोनों की एक और वीडियो वायरल हुई थी। इस वीडियो में दोनों बहनें एक पार्क में लड़कों के साथ मारपीट कर रही थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर कई युवकों ने दोनों बहनों द्वारा उनके साथ ठगी करने की बात भी कही थी।
वीडियो देने के लिए देती थीं मोबाइल
जब भी इस तरह की कोई घटना होती थी तो वे वहां मौजूद किसी को भी पहले अपना मोबाइल वीडियो रिकार्डिंग के लिए देती थीं। इसके बाद लड़कों के साथ मारपीट करती थीं। वायरल हुए दोनों ही मामलों में यह तथ्य सामने आए हैं। बस में हुई घटना की वीडियो बनाने वाली महिला ने पुलिस को दिए बयान में यही बताया था कि लड़कों को पीटने से पहले उन्होंने उसे मोबाइल दिया और वीडियो बनाने के लिए कहा। बाद में उस वीडियो को वायरल कर दिया।
प्रदीप मलिक ने केस लड़ने की नहीं ली फीस
आरोपी युवकों के वकील रहे एडवोकेट प्रदीप मलिक ने बताया कि जब उन्हें इस बारे में पता चला कि लड़कों के साथ गलत हुआ है तो उन्होंने उन्हें न्याय दिलाने की ठानी। तीनों ही लड़कों के परिवार की आर्थिक हालत इतनी कमजोर थी कि वे केस लड़ने के लिए वकील को फीस नहीं दे सकते थे। अगर देते तो भी इसके लिए उन्हें भारी कर्ज उठाना पड़ता या जमीन बेचनी पड़ती। इसलिए उन्होंने यह केस निशुल्क लड़ा।
न्यायपालिका में बढ़ेगा विश्वास : मलिक
एडवोकेट प्रदीप मलिक ने कहा कि अदालत ने अच्छा फैसला सुनाया है। निश्चित रूप से इस फैसले के बाद लोगों का न्यायपालिका में विश्वास बढ़ेगा। तीनों लड़कों ने निर्दोष होने के बावजूद काफी मानसिक व सामाजिक परेशानी का सामना किया है। अदालत के फैसले से युवकों ने राहत महसूस की है।