श्रीलंका-पाक को भी मिल गई मॉडर्ना-फाइजर की वैक्सीन, भारत का नंबर कब?

भारत के दवा नियामक द्वारा मॉडर्न की कोविड -19 वैक्सीन को प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने के लगभग एक महीने बाद अधिकारियों ने फाइजर वैक्सीन के बारे में सकारात्मक बयान जारी किए हैं। इनमें से किसी का भी अभी तक भारत में उपयोग नहीं किया जा रहा है। देश भर में चल रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान में इन टीकों को कब शामिल किया जाएगा, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।

पड़ोसी देशों को मिल चुकी है मॉडर्ना और फाइजर

इस बीच, भारत के पड़ोसी देशों- श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान-को मॉडर्ना और फाइजर के टीकों की लाखों खुराक हफ्तों पहले ही मिल चुकी हैं, और जल्द ही और अधिक वितरित होने की उम्मीद है। 29 जून को, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मॉडर्ना को प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी। इससे यह भारत में कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक वी के बाद इस तरह की मंजूरी पाने वाली चौथी वैक्सीन बन गई है। 2 जुलाई को, केंद्र सरकार ने कहा कि वह अगले कुछ दिनों में मॉडर्ना वैक्सीन की खुराक भारत तक पहुंचने की उम्मीद कर रही है।

मॉडर्न की 75 लाख खुराक की पेशकश

वहीं अठारह दिन बाद, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) (दक्षिण-पूर्व एशिया) की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि भारत को WHO के Covid-19 वैक्सीन ग्लोबल एक्सेस (COVAX) के माध्यम से मॉडर्न वैक्सीन की 7.5 मिलियन (75 लाख) खुराक की पेशकश की गई है।  हालांकि, मॉडर्ना जैब्स भारत में कब उपलब्ध होंगे, इस पर कुछ स्पष्ट नहीं है। COVAX से मॉडर्ना वैक्सीन की 7.5 मिलियन खुराक का यह दान उससे अलग है, जिन्हें वैक्सीन निर्माताओं के साथ खरीद समझौते की आवश्यकता होती है। जहां तक ​​अमेरिकी टीकों की खरीद का संबंध है, मॉडर्ना ने मई में कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर से ओवरलोड है और 2022 से पहले व्यावसायिक रूप से सप्लाई नहीं दे सकेगी।

यहां अटका है मामला

मॉडर्ना और फाइजर जैसे विदेशी वैक्सीन निर्माता भारत सरकार से किसी भी प्रतिकूल दावों के खिलाफ कानूनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं जो उनके कोविड -19 टीकों के उपयोग से जुड़े हैं। शर्त है कि सरकार द्वारा निर्माताओं को यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करने पर इन टीकों का रोल आउट किया जाएगा। वैक्सीन रोलआउट के लिए यह क्लॉज भारत सरकार और वैक्सीन निर्माताओं के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है, और टीकों को भारत तक पहुंचने में देरी हुई है।

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