राजधानी लखनऊ में बीते बुधवार को नक्खास में एक दुकान से भड़की आग में फंसे परिवार को जान जोखिम में डालकर फायर कर्मियों ने बचाया था। यह पहली बार नहीं, अक्सर अग्निकांड की घटनाएं होती हैं, लेकिन उसके बाद इससे बचाव के इंतजाम पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। लखनऊ में करीब 10 से बड़े बाजार और 18 हजार से ज्यादा दुकान फायर के मानक पर नहीं है।
मौजूदा समय शहर में चौक, अमीनाबाद, यहियागंज, नक्खास, गुरुनानक मार्केट, जनपथ, लवलैन, नाजा, प्रिसं मार्केट, हलवासिया, नाका और चारबाग को मिलाकर करीब 18 हजार से अधिक दुकानें हैं। सालों पहले फायर ब्रिगेड के अधिकारी इन सब बाजारों को मानक के खिलाफ बता चुके हैं। बावजूद इसके इन बाजारों में धड़ल्ले से अभी भी अवैध निर्माण जारी है, यह निर्माण गलियों के अंदर तक हो रहे हैं। जहां फायर की गाड़ी तो दूर छोटी कार नहीं जा पाएगी।
8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार
इन बाजारों से 8000 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार होता है। नक्खास की तरह ऐसे में इन जगहों पर एक चिंगारी पूरे बाजार को खाक कर सकते हैं। उसके अलावा लोगों के जान को अलग से खतरा हो सकता है। करीब 18 हजार दुकानों से 50 हजार लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। ऐसे में उनके लिए भी यह खतरा है। जानकारों का कहना है कि अमीनाबाद, यहियागंज, नाका और चौक सराफा बाजार को मिलाकर ही साल का छह हजार करोड़ से ज्यादा का कारोबार है।
सौ साल पुराने बाजार शामिल
शहर में अमीनाबाद, यहियागंज, पांडेयगंज, नाका, नादान महल रोड, चौक समेत कई बाजार 100 साल से भी पुराने हैं। उस समय की दुकानें भी है। ऐसे में उनको हटाना मुश्किल है। लेकिन इन बाजारों में अभी भी धड़ल्ले से निर्माण हो रहा है, इसको रोकने के लिए कोई पहल नहीं की जाती है। एलडीए, जिला प्रशासन और नगर निगम पूरी तरह से आंख बंद किए रहता है। हर साल सैकड़ों नई दुकानें इन इलाकों में खुल जाती है।
कहां कितनी दुकानें
बाजार | दुकानें |
अमीनाबाद | 11000 |
जनपथ, नाजा समेत गंज | 1000 |
नक्खास | 1200 |
चौक | 1000 |
यहियागंज | 1500 |
पांडेयगंज | 500 |
नाका और चारबाग | 3000 |
गुरुनानक मार्केट | 700 |