कोरोना की दूसरी लहर में तीमारदारों की मजबूरियों की फायदा उठाकर कालाबाजारी करने वाला का साथ केजीएमयू और निजी अस्पतालों के कई कर्मचारियों ने भी खूब दिया। इन लोगों ने रुपयों के लालच में इंजेक्शन चोरी कर इन दलालों को दिये जिन्हें ऊंची कीमत में बेच कर कमाई की गई। अब कालाबाजारियों को चोरी कर इंजेक्शन पहुंचाने में शामिल कई लोग पुलिस की रडार पर आ गये हैं। इनके नामों का खुलासा दो महीने से फरार चल रहे रीतांशु मौर्य ने बुधवार को गिरफ्तारी के बाद किया। पुलिस इन आरोपियों का पूरा ब्योरा तैयार कर रही है।
23 अप्रैल को लखनऊ में पांच थानों की पुलिस ने 22 लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन और दवाओं की कालाबाजारी करते हुये पकड़ा था। इनके गिरोह में शामिल लोगों ने ऑक्सीजन सिलेण्डर को भी ऊंचे दामों पर बेचा। मानकनगर पुलिस ने केजीएमयू के लैब टेक्नीशियन, संविदाकर्मी और लॉरी व क्वीनमेरी के कर्मचारियों की मिलीभगत भी उजागर की थी। उस समय मुख्य आरोपी बाराबंकी का रीतांशु मौर्य और कानपुर का थापा फरार हो गया था। इन दोनों की तलाश में काफी छापे मारे गये थे। केजीएमयू में नर्सिंग की पढ़ाई कर रहा रीतांशु बुधवार को पुलिस के हाथ लग गया। एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि रीतांशु से कई जानकारियां मिली है जिसके आधार पर कुछ लोगों की तलाश की जा रही है।
केजीएमयू से चोरी किये इंजेक्शन
रीतांशु ने पुलिस अफसरों के सामने कुबूला कि केजीएमयू में कुछ कर्मचारियों ने उसकी मदद की थी। इन कर्मचारियों ने ही उसे कुछ निजी अस्पतालों के कर्मचारियों के नाम व मोबाइल नम्बर दिये थे। फिर इन लोगों से मिलकर ही निजी अस्पतालों से भी रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी किये गये। रीतांशु ने पुलिस को बताया कि जब ऊंचे दामों पर इंजेक्शन बिकने लगे तो उन लोगों ने दूसरे इंजेक्शनों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टीकार लगाकर भी बेचा।
थापा की तलाश तेज
पुलिस अफसरों का कहना है कि ठाकुरगंज पुलिस ने जो गिरोह पकड़ा था, उसका सरगना कानपुर का थापा था। थापा के गिरफ्त में आने पर कालाबाजारियों के कई और राज सामने आयेंगे। रीतांशु के पकड़े जाने के बाद थापा की तलाश तेज कर दी गई है।