पिछले वर्ष गंगा की कटान मे धराशायी दूबेछपरा-टेंगरही रिंग बंधे पर बने स्पर पर पिछले पांच दिनों से हो रहे मरम्मत कार्य को रविवार को ग्रामीणों ने कार्य में अनियमितता का आरोप लगाते हुए रोक दिया। काम की देख-रेख कर रहे विभागीय अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी। ग्रामीणों का कहना है कि गंगा के जिस वेग को पत्थर के बड़े-बड़े बोल्डर नहीं रोक पाये, उसे बालू भरे जिओ बैग कैसे रोक पायेगा?
बैरिया तहसील के गोपालपुर, दूबेछपरा, उदयीछपरा आदि को गंगा की कटान से बचाने के बाढ़ खंड ने वर्ष 2017-18 मे 29.34 करोड़ की लागत से दूबेछपरा रिंग बंधे पर कटानरोधी बचाव कार्य किया। कार्य के शुरुआती दिनों से ही ग्रामीण अनियमिता का आरोप लगाते रहे लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। इसका नतीजा भी सामने आ गया। पिछले वर्ष गंगा में आयी बाढ़ व कटान ने बचाव कार्य में अनियमिता की सारी पोल खोल दी। गंगा के एक वार में ही कटानरोधी बचाव कार्य तहस-नहस हो गया। यही नहीं, बचे कार्य को बचाने में भी विभाग को सरकारी खजाने से करोड़ों लूटाने पड़ गए।
सूखे के दिनों में आराम फरमाने की आदत डाल चुके विभाग की नींद एक बार फिर मानसून की आहट के बाद टूटी है। पिछले पांच दिनों से क्षतिग्रस्त स्पर की मरम्मत का कार्य करीब 60 लाख की लागत से कराया जा रहा है। आरोप है कि यह कार्य भी नदी की सतह से बगैर प्लेटफार्म बनाये किया जा रहा है, जिस पर ग्रामीणों ने फिलहाल रोक लगा दी है।