राहुल और केजरीवाल पर नजर, 500-1000 के पुराने नोटों के चक्कर में बनेंगे निशाना

 मोदी सरकार अब विपक्षी दimage-newsलों के एकाउंट पर नजर घुमाने जा रही है। सरकार ने ऐलान कर दिया है कि विरोधी दलों के खाते भी जांच के दायरे में आएंगे।

बड़ी बात यह भी कि सरकार विपक्षी दलों को पुराने नोटों के सहारे घेरने की तैयारी कर रही है। दरअसल, देश के तमाम राजनीतिक दल चंदे के नाम पर करोड़ों रुपए अपने खाते में जमा करा देते हैं।

अब तक ये पैसे ज्यादा 500-1000 के पुराने नोटों के तौर पर जमा किए जाते हैं। लेकिन अब मोदी सरकार इस परंपरा को तोड़ने जा रही है। खबर यह भी है कि सरकार जल्द ही बड़े नेताओं के खातों की भी जांच कराएगी।

इन नेताओं में कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं के खाते भी चेक किए जाएंगे।

दरअसल, वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक दल 1000 व 500 रुपये के पुराने नोटों में चंदा नहीं ले सकते हैं।

उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद राजनीतिक दलों को कोई रियायत नहीं दी गई है और संशोधित कराधान अधिनियम 2016 के तहत भी ऐसी छूट नहीं है।

 फिक्की की बैठक में जेटली ने कहा कि आईटी एक्ट, 1961 की धारा 13ए के तहत राजनीतिक दलों को अपने खातों का ऑडिट, खर्च और आय की जानकारी देनी होती है। यदि कोई भी दल अमान्य नोटों में चंदा लेता है तो यह कानून का उल्लंघन होगा।

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने भी कहा कि दलों को दी जा रही कथित छूट से संबंधित खबरें भ्रामक हैं। उन्होंने ट्वीट किया, कराधान संशोधन कानून के तहत दलों को कोई छूट नहीं है।

वहीं, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने नोटबंदी के मद्देनजर पुराने नोट जमा कराये जाने पर भी राजनीतिक दलों के खातों की जाँच नहीं किये जाने की मीडिया में आयी खबरों के मद्देनजर कहा कि सिर्फ पंजीकृत राजनीतिक दलों को ही आयकर से छूट मिली हुयी है।

बोर्ड के मुताबिक स्वैच्छिक चंदे की बात है तो राजनीतिक दलों को 20 हजार रुपये से अधिक का चंदा देने वालों के नाम और पते का रिकॉर्ड रखना होता है।

राजनीतिक दलों को एक निर्धारित समय सीमा में मिले चंदे की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होती है और चार्टर्ड अकाउंटेट से खातों का ऑडिट भी कराना होता है।

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