उदयपुर। उदयपुर से 125 किमी की दूरी पर स्थित कोटरा में राशन खरीदने जा रहे हैं तो आपको पेड़ पर चढ़ना आना चाहिए। यह कोई मजाक नहीं है। इस क्षेत्र में इंटरनेट कनेक्टीविटी इतनी खराब है कि पीडीएस के जरिए राशन खरीदने के खातिर आपको पेड़ों पर तो चढ़ना ही होगा तभी जाकर आपको इंटरनेट मिल सकता है।
पेड़ों पर चढ़े महिलाओं और पुरुषों का यह दृश्य काफी सामान्य सी बात है और अधिकांश सेंटर पर यह दृश्य मौजूद है। वे अपनी बारी का घंटों इंतजार करते हैं तब जाकर उन्हें पेड़ पर चढ़कर अपना काम कराने का मौका मिलता है। वेरिफफिकेशन के बाद वे पेड़ से उतरते हैं और मीलों चलकर राशन की दुकानों पर लगी कतार में शामिल होते हैं।
जिंदगी को आसान बनाने के बजाए पिछड़े इलाकों में सरकार का यह नया कदम- ‘पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम’ परेशानी साबित हो रहा है। कोटरा में 76 राशन सेंटर हैं जिसमें से 13 की कनेक्टीविटी का हाल बदतर है।
इन जगहों पर राशन डीलरों को इंटरनेट कनेक्टीविटी के लिए पेड़ पर चढ़ना पड़ता है ताकि वे PoS मशीनों का उपयोग कर सकें। मेरपुर, चिबारवाडी, मालविय खाकरिश, पीपला, भुरीदेबार, बेरान, पाल्चा, उमरिया, सामोली जैसे इलाकों में रहने वाले लोगों को चीनी, किरोसिन जैसे राशन के सामानों को खरीदने के लिए बायोमीट्रिक वेरिफिकेशन कराने को प्रतिदिन घंटों इंतजार करना होता है।
कोटरा निवासी भोला गामेटी ने बताया, ‘एकमात्र राशन की दुकान हमारे घर से मीलों दूर है लेकिन राशन डीलर को इंटरनेट कनेक्शन ढूंढने के लिए किसी ऊंची जगह पर चढ़ना होता है। कभी कभी तो इंटरनेट नेटवर्क के लिए 4-5 घंटों का इंतजार करना होता है और तब जाकर मशीन काम करता है। पहले की ही व्यवस्था ठीक थी।
कई घरों में बिजली का कनेक्शन नहीं है। यहां इलाज की उचित सुविधा नहीं है और यहां सड़क भी नहीं है। इस ब्लॉक में दो समुदाय- गारासियास व गामेटी की आबादी है जो यहां की 85 फीसद जनसंख्या है।