लखनऊ मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृह मंत्री के रूप में लखनऊ में सेना के जमीन विवाद से बंद पड़ी कई परियोजनाओं को चालू कराने वाले राजनाथ सिंह के अब रक्षा मंत्री बनने से लखनऊ के लोगों को बड़ी आस जगी है। माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अब नगर निगम व एलडीए से चल रहे सेना के जमीन संबंधी कई लंबित विवादों को सुलझाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
लखनऊ में सेना से जमीनों का यह विवाद अरसे से चल रहा है और नगर निगम व एलडीए कुछ कर नहीं पा रहे हैं। कुल 183 एकड़ जमीन सेना के कब्जे में है, जिसे नगर निगम अपनी बता रहा है। नगर निगम ने कई बार इस जमीन को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की लेकिन हर बार सेना ने वहां जवानों की तैनाती कर नगर निगम को पीछे हटने पर विवश कर दिया।
इस जमीन के विवाद में ही एलडीए को अपनी नेहरू एन्क्लेव आवासीय योजना को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था और आवंटियों को निराशा लगी थी। अब इन जमीनों का मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित है। यह जमीन नगर निगम के सलेज फार्म के लिए अर्जित की गई थी लेकिन सेना अपनी शूटिंग रेंज की जमीन बता रही है। करीब चार दशक से जमीन का विवाद चल रहा है और उच्चस्तर पर बैठकों के बावजूद मामला सुलझ नहीं पाया है।
इस क्षेत्र की जमीनों पर विवाद
भीखमपुर : फनल एरिया 22.70 एकड़, सेना का फनल एरिया पर कब्जा है 22.70 एकड़, इसके आसपास की 38.734 एकड़ जमीन को भी सेना अपनी बता रही है।
शेखपुर कसैला : फनल एरिया 101.186 एकड़ भूमि, फनल एरिया पर सेना का कब्जा 68.972 एकड़, इसके अतिरिक्त सेना ने आसपास की 16.223 एकड़ जमीन को भी कब्जे में कर रखा है। इस जमीन को लेकर सेना का एलडीए से विवाद है और यहां एलडीए ने नेहरू एन्क्लेव आवासीय योजना बनाई थी।
उजरियांव : फनल एरिया 48.545 एकड़, फनल एरिया में सेना का कब्जा 1.10 एकड़ आसपास की 36.67 एकड़ जमीन को भी सेना अपनी बता रही है। यहां भी एलडीए की नेहरू एन्क्लेव आवासीय योजना थी।
अमौसी : गिंदन खेड़ा की 1.817 हेक्टेयरजमीन को पीएम आवास योजना के एक हजार लाइट भवनों के लिए चिह्नित किया गया था। सेना का दावा है कि खसरा नंबर 3684 ‘क’ की जमीन उसके कब्जे में वर्ष 1942 से है और बस नाम परिवर्तन होना है।