उसकी (रागनी) आँखों में भी अपने लिए कुछ सपने थे ,वो एक परी की तरह उड़ना चाहती थी. एयरहोस्टेज बनना चाहती थी.उसकी तरफ उसके माता पिता की आशा भरी निगाहें टिंकी थी ,जब वो अपने सपनो के बारेमें उनको बताती , एक गाँव की वो छोटी सी लडकी ,किसी की प्यारी बिटिया , किसी की बहन तो किसी माँ के आंख की नूरे नज़र. वो उड़ना चाहती थी उसका सपना था एयर होस्टेज बनने का .
उसके (रागनी )पिता कोई आई ए एस अधिकारी न थे वर्निका की तरह .उसके पिता के साथ खड़े होने वाले भी बहुत मुश्किल से होंगे क्युकी गाँव में जो मुख्य अपराधी था गाँव के ही भाजपा के प्रधान का बेटा था.
स्कूल आते-जाते गांव प्रधान के लड़के उस पर कमेंट पास करते . उसे देखकर सीटी बजाते तो कभी गाने गाते. इन सब बातों से तंग आकर उसने मई के बाद स्कूल जाना ही बंद कर दिया था.
यूपी के बलिया में 8 अगस्त को रागिनी की बीजेपी के ग्राम प्रधान के लड़के ने सरेराह हत्या कर दी.
एक तरफ सरकार भ्रूण हत्या पर रोक के लिए कानून बना रही है, वहीं दूसरी तरफ बेटियों की ऐसी दुर्दशा, ऐसा असुरक्षित माहौल की परिजन हमेशा सशंकित रहें.यह कैसी व्यवस्था है. यह सवाल एक पिता के हैं जो अपनी बेटी के खोने के गम में दिन रात डूबा है. खुली सड़क पर दिनदहाड़े जिसकी बेटी मौत के घाट उतार दी गई उसके परिजनों को सरकार की किसी बात का कोई मतलब समझ में नही आ रहा है.रोजाना इस घटना को लेकर कई तरह की सांत्वना तो मिल रही है,लेकिन इसका कोई भी असर उनके मनोभावों को शांत नही कर पा रहा है। बेटी के खून सने शव को अपलक निहारने के बाद एक पिता की मनोदशा जिसका आंकलन शायद ही कोई कर सके लेकिन उस पीड़ा की टीस साफ महसूस होती है. पिता जितेंद्र अपनी पुत्री के मृत्यु के दु:ख को उजागर करते हुए कहते हैं कि भगवान किसी को ऐसा दिन न दिखाए. पाल-पोस कर बड़ी की गई बच्ची ने इन्ही हाथों में दम तोड़ दिया.न कुछ कह पाई और न ही हम उसे कुछ बता पाए. सुबह के उजाले में दिखा बेटी का चेहरा थोड़ी ही देर में रक्तरंजित हो जाएगा ऐसा तो सोचा भी नहीं था.जाने कैसी सुबह थी जिसने हमारा सब कुछ छीन लिया. अब दिलाशा देने वालों की ताता लगी है सभी दिलास दे रहे है. कोई दिलासा दिल को तसल्ली नहीं देती.क्या करें कि चैन आ जाए. एक पल को आँख बंद करने पर बेटी का चेहरा सामने आ जाता है.
यूपी के बलिया में 8 अगस्त को रागिनी की बीजेपी के ग्राम प्रधान के लड़के ने सरेराह हत्या कर दी.