मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने खेत तालाब के लिए जियो टैगिंग अनिवार्य रूप से कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्प्रिंकलर और ड्रिप इरीगेशन की फर्मों को अंतिम रूप देने के लिये एक समिति का गठन किया जाए। जिसमें वित, नियोजन, एमएसएमई और कृषि के प्रतिनिधियों को जरूर शामिल किया जाए। मुख्य सचिव ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के अंतर्गत गठित सातवीं राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति (एसएलएससी) की वीडियो कांफ्रेंसिंग से आयोजित बैठक में ये निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि उद्यान विभाग को जो पंजीकरण एवं आवेदन शुल्क मिला है, उसमें से एक वर्ष की प्रभावी कार्य योजना तैयार कर अनुमोदित कराई जाए। स्प्रिंकलर के लिए अधिकतम क्षेत्र 05 हेक्टेयर से कम करके 02 हेक्टेयर कर दिया जाए। जिससे अधिक से अधिक लघु एवं सीमांत किसानों को लाभ मिल सके। अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने बताया गया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में मुख्यत: चार घटक त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी), हर खेत को पानी, पर ड्राप मोर क्रॉप एवं जलागम विकास के कार्यक्रम चल रहे हैं। एआईबीपी घटक के अंतर्गत सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग सरयू (राष्ट्रीय नहर), अर्जुन सहायक नहर, मध्य गंगा नहर (फेज-2) संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं से अब तक 13.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचन क्षमता सृजित हो चुकी है। इनके पूरा होने पर 15.94 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि एक हजार करोड़ रुपये की खेत तालाब योजना में प्रदेश में 10 हजार खेत तालाबों का निर्माण कराया जाना है। उद्यान विभाग ने 665.57 करोड़ रुपये की परियोजना पेश की। जिसके माध्यम से 1.40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली से सिंचन क्षमता विकसित की जाएगी। लघु सिंचाई विभाग ने मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अन्तर्गत 94573 नलकूप एवं सामुदायिक ब्लास्ट कूप योजना के अंतर्गत 804 ब्लास्ट कूप निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसमें 247.50 करोड़ रुपये व्यय किया जाना प्रस्तावित है। वीडियो कांफ्रेंसिंग में उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
दो हेक्टेयर भूमि पर भी स्प्रिंकलर की मंजूरी मिल सकेगी
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने खेत तालाब के लिए जियो टैगिंग अनिवार्य रूप से कराने और उद्यान विभाग की ओर से स्प्रिंकलर एवं ड्रिप इरीगेशन फर्मों को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के क्रियान्वयन के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की बृहस्पतिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक हुई। इसमें लघु एवं सीमांत किसानों को लाभान्वित करने के लिएस्प्रिंकलर के लिए आवश्यक अधिकतम क्षेत्र पांच हेक्टेयर भूमि की अनिवार्यता को कम कर दो हेक्टेयर करने के प्रस्ताव पर पीएमकेएसवाई के निदेशक पंकज त्यागी ने सहमति दी।
बैठक में कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) के तहत वर्ष 2020-21 में योजनाओं पर 2,026 करोड़ रुपये व्यय किया गया है। इनमें से अब तक 13.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचन क्षमता सृजित हो चुकी है जबकि इनके पूर्ण होने पर इन परियोजनाओं से 15.94 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हो जाएगी। हर खेत को पानी घटक के तहत सरयू नहर परियोजना फेज-3 एवं अर्जुन सहायक नहर परियोजना के तहत कृषकों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए गूलों और अन्य संरचनाओं का निर्माण कराया जाएगा।
सहायक नगर परियोजना के तहत जिन विकासखंडों में 750 मिलीमीटर से अधिक वर्षा होती है वहां पर विभिन्न प्रकार के बोरिंग और ब्लास्ट कूपों का निर्माण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया, पर ड्राप मोर क्रॉप योजना के तहत माइक्रो इरीगेशन के तहत उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण की ओर से ड्रिप 8841 हेक्टेयर एवं स्प्रिंकलर 49,261 हेक्टेयर में स्थापित कराया गया। इसके अलावामुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के तहत 94,573 नलकूप एवं सामुदायिक ब्लास्ट कूप योजना के तहत 804 ब्लास्ट कूप निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।