बिहार की बेटी अनामिका को हिंदी का सर्वोच्च सम्मान, नीतीश बोले-आधी आबादी को देगा प्रेरणा

साहित्य अकादमी ने 20 भाषाओं में अपने वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा कर दी है। इसमें बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली अनामिका को साहित्य का सर्वोच्च सम्मान दिया गया है। वे हिंदी में कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली देश की पहली महिला साहित्यकार बन गई हैं। मुजफ्फरपुर की अनामिका के अलावा मधुबनी के रहने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार कमलकांत झा को भी वर्ष 2020 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ने हिंदी कवयित्री अनामिका और मैथली रचनाकार कमकांत झा को साल 2020 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्हे अपनी शुभकामनाएं दी हैं। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार की बेटी के हिंदी का सर्वोच्च सम्मान मिलना बिहार के लिए गौरव और देश की आधी आबादी को प्रेरणा प्रदान करेगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उर्दू साहित्यकार हुसैन उल हक को भी साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर अपनी शुभकामनाएं दी है। उर्दू साहित्यकार हुसैन उल हक को उर्दू उपन्यास अमावस में ख्वाब के लिए सम्मानित किय गया है। नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के तीन साहित्यकारों को साहित्य अकादमी पुरस्कार का मिलना गौरव की बात है।

बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली अनामिका को यह सम्मान उनकी हिंदी कविता संग्रह टोकरी में दिगंत – थेरीगाथा के लिए दिया गया है। कविता संग्रह ‘टोकरी में दिगन्त’ 2014 में प्रकाशित हुआ था। बता दें कि 1961 में जन्मी अनामिका दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में अंगेजी की प्राध्यापिका हैं। उन्होंने कविता के साथ उपन्यास और कहानियां भी लिखी हैं। आपको यह भी बता दें कि ये बिहार की तीसरी और देश की पहली साहित्यकार हैं जिन्हे हिंदी के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।

वहीं बिहार के ही मधुबनी के रहने वाले कमलकांत झा को मैथिली के लिए 2020 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है। उन्हें उनकी रचना ‘गाछ रूसल अछि’ के लिए यह सम्मान दिया गया है है। बता दें साहित्य अकादमी द्वारा हर साल मनाया जाने वाला साहित्योत्सव इस इस साल 12 से 14 मार्च तक आयोजित किया जा रहा है। बिहार के दो लोगों को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलना पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है। बता दें कि यह पुरस्कार 1 जनवरी 2014 से 31 दिसम्बर 2018 के दौरान पहली बार प्रकाशित पुस्तकों पर दिया गया है। साहित्य अकादमी चयन समिति में शामिल 18 भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में इन पुरस्कारों की घोषणा की है।

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