बलिया के द्वाबा में गंगापुर में जो आकस्मिक बाढ़ निरोधक कार्य कराए जा रहे थे, उसकी ई टेंडरिंग के बिना कराए जा रहे थे उस पर शासन ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है।
शासन ने बाढ़ विभाग के उच्चाधिकारियों से पूछा है कि बिना ई-टेंडरिंग कराए काम कैसे हो रहा था। शासन के इस निर्देश से बाढ़ विभाग में खलबली मची हुई है। 30 मई को बाढ़ विभाग द्वारा बिना ई-टेंडरिंग कराए ही काम शुरू कराने पर शासन ने कार्रवाई की है।
बताया जाता है कि बाढ़ विभाग आनन-फानन में एक करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बना कर जिला कमेटी के द्वारा शासन में भेजा था। लेकिन किन्हीं कारणों से प्रस्ताव लौट आया था। विभाग इस फाइल को समिति के माध्यम से बैठक में पास कराने की तैयारी में था लेकिन इसके पहले ही विभाग ने काम शुुरू करा दिया। जबकि योगी सरकार ने पहले ही सभी विभागों को सचेत किया था कि कोई भी काम बगैर ई-टेंडरिंग के नहीं होंगे। बाढ़ विभाग की ओर शुरू कराए गए कार्य की जानकारी पर शासन ने बाढ़ विभाग के अधिकारियों से पूछा है कि जब समय था तो ई-टेंडर क्यों नहीं निकाला गया, काम का प्रोजेक्ट समय से क्यों नहीं भेजा गया और स्थिति गंभीर थी तो बाढ़ विभाग क्यों चुप था? अधिकारियों का कहना था कि दुबे छपरा रिंग बंधा से भी अधिक जरूरी काम गंगापुर में कराना है क्योंकि यहां पर गंगा नदी व एनएच 31 के बीच की दूरी मात्र 30 मीटर ही बची है। विभाग का मानना था कि अगर समय रहते यहां बाढ़ निरोधक कार्य नहीं कराया गया तो एनएच 31 खतरे में पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो विभाग ठेकेदारों के साथ मिलकर फ्लड फाइटिंग के नाम पर जमकर धन की लूटपाट करने के चक्कर में था। इसकी शिकायत किसी ने प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन से कर दी। इस बाबत बाढ़ विभाग के अधिशासी अभियंता दिलीप कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि कुछ दिक्कत आई है जिसके चलते काम बंद कराया गया है, जल्द ही यहां पर काम शुरू कराया जाएगा।