बारिश ने जहां ठंड में भारी इजाफा किया है वहीं कुछ फसलों के लिए यह संजीवनी साबित हुई है। बीती रात से शुरू हुई बारिश शुक्रवार को भी दिनभर जारी रही। हालांकि सरकारी महकमा अभी जाड़े के इंतजाम के प्रति कहीं भी फिक्रमंद नहीं दिख रहा है। कहीं भी सार्वजनिक स्थानों पर गरीबों के लिए अलाव जलाने की शुरुआत नहीं हुई है। नगरपालिका में इसके लिए लाखों रुपये बजट में हैं। इसी तरह तहसील क्षेत्रों में भी सरकारी स्तर से कंबल वितरण या अलाव जलाने की व्यवस्था अभी तक नहीं हुई है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 21 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम 14 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।मौसम के अचानक करवट बदलने से ठिठुरन बढ़ गई है। सबसे ज्यादा दिक्कत फुटपाथ पर जीवन बिताने वाले लोगों को हो रही है। बारिश में बच्चों को स्कूल जाने में भी परेशानी हो रही है। बहुत से बच्चे शुक्रवार को ठिठुरते हुए अपने विद्यालय पहुंचे। परिषदीय विद्यालयों में अभी तक स्वेटर वितरण का कार्य ही चल रहा है। बहुत से विद्यालयों में स्वेटर की खराब क्वालिटी को लेकर भी स्वेटर वापस कर दिए गए हैं। ऐसे में यह ठंड बच्चों पर भारी कहर बरपाते हुए नजर आ रहा हैं।
इस साल ठंड देर से शुरू हुई हैं। पिछले साल नवंबर माह से ही कड़ाके की ठंड पड़नी शुरू हो गई थी। इस बदलाव के पीछे मौसम वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिंग को कारण मान रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक एके तोमर ने बताया कि जिस तरह जुलाई, अगस्त व शुरुआती सितंबर में बारिश नहीं हुई थी, लेकिन सितम्बर के आखिरी दिनों में इतनी ज्यादा बारिश हुई कि बलिया के बाढ़ मुक्त इलाकों में भी बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न हो गए थे। उसी प्रकार ठंड का भी आगमन है। बारिश के साथ ही ठंड़ में तेजी से इजफा होगा। ठंड अचानक कंपकंपी लेकर बढ़ेगा, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस साल ठंड कम दिनों का होगा।
-15 से 20 जनवरी तक कड़ाके की ठंड
मौसम वैज्ञानिक के अनुसार अमूमन 15 नवंबर से शुरू होकर 20 फरवरी तक ठंड की अवधि मानी जाती हैं। इसमें दिसंबर से लेकर जनवरी माह तक तापमान घट कर 07 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ठंड के कारण आकाश में कोहरा छाया रहता है, लेकिन इस वर्ष 15 दिसंबर से 20 जनवरी तक कोहरा होने की संभावना है। इस अवधि में न्यूनतम तापमान 05 डिग्री सेल्सियस तथा अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है।
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-बारिश संग ठंड बढ़ने से किसानों को फायदा
बारिश के साथ ठंड बढ़ने से गेहूं के पौधों का ज्यादा फायदा होगा। वहीं आलू और छेमी सहित अन्य कई फसलों को नुकसान भी पहुंच सकता है। पिछले दो साल से नवंबर माह में आकाश में कोहरा छाने लगता था, लेकिन इस वर्ष 12 दिसंबर तक पिछले वर्षों जैसा कोहरा नहीं बन पाया है। इधर गुरुवार और शुक्रवार को बारिश होने के चलते तापमान में कमी होने लगी है, इससे लोग अब ठंड को लेकर काफी सचेत हाल में हो चले हैं। सभी के शरीर पर ऊनी कपड़े चढ़ गए हैं। मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि हवा की दिशा जैसे-जैसे उत्तर पूर्व और उत्तर की ओर होती जाएगी।