प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से जुड़े बिहार के 3.28 लाख किसानों का भौतिक सत्यापन होगा। केन्द्र सरकार ने योजना की जांच के लिए रैन्डम तरीके से इन किसानों का चयनकर उसकी सूची राज्य सरकार को दी है। निर्देश के मद्देनजर कृषि विभाग ने प्रखंडों में यह सूची भेज दी है। साथ ही भौतिक सत्यापन का निर्देश दिया है।
दरअसल, राज्य के लगभग 60 लाख किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का लाभ लेते हैं। उनमें से आयकर देने वाले 32 हजार किसानों को यह राशि मिलनी बंद हो गई है। इसी के साथ कृषि निदेशक डीपी त्रिपाठी ने केन्द्र सरकार से मिली सूची के अनुसार किसानों का भौतिक सत्यापन शुरू करा दिया है। इस काम में प्रखंड कृषि अधिकारियों (बीएओ) को लगाना है, लेकिन काम अधिक होने और खरीफ की खेती का पीक सीजन होने के कारण सहायक तकनीकी प्रबंधक (एटीएम), प्रखंड तकनीकी प्रबंधक (बीटीएम) को भी इसमें लगाया गया है। जांच पूरी होने के बाद ही यह साफ होगा कि इस योजना में कहीं फर्जीवाड़ा तो नहीं हो रहा है।
पारदर्शिता को उठाए जा रहे कई कदम
इसके पहले भी केन्द्र सरकार ने योजना में पारदर्शिता बरतने के लिए कई कदम उठाये हैं। केन्द्र सरकार ने एक दिसम्बर 2019 से इस योजना में भुगतान को आधार आधारित कर दिया। यह कार्रवाई शुरू हुई तो राज्य के एक लाख 69 हजार 728 किसान लाभ से वंचित हो गए। इन किसानों में किसी का आधार कार्ड का नाम आवेदन के नाम से मैच नहीं कर रहा था, तो कई किसानों के बैंक आईएफएस कोड गलत थे। केन्द्र ने मौका दिया तब भी किसान इन दिक्कतों को दूर नहीं करा पाए। बाद में इसके लिए योजना के नोडल अधिकारी श्री त्रिपाठी ने अलग से सेल बनाकर किसानों की मदद की। साथ ही, अपना मोबाइल नम्बर तक किसानों को उपलब्ध कराकर संशोधन कराया। कृषि विभाग की मदद से किसान इस संकट से उबार सकें।
32 हजार किसानों से वसूले जाएंगे 36 करोड़
केन्द्र सरकार ने राज्य में आयकर देने वाले लगभग 32 हजार किसानों को सम्मान निधि की राशि बंद करने के बाद जांच का यह नया आदेश दिया है। साथ ही, आयकरदाता उन किसानों से अब तक ली गई राशि वसूल करने का भी निर्देश जारी किया है। इन 32 हजार किसानों ने अब तक लगभग 36 करोड़ रुपये इस मद में उठाये हैं। उन्हें अब यह राशि वापस करनी होगी। विभाग ने इसकी भी प्रक्रिया शुरू कर दी है।