पटना: निजी और सरकारी कार्यालयों की बैठकों में बोतलबंद पानी पर रोक, शिकायत मिलने पर लगेगा जुर्माना

पटना नगर निगम क्षेत्र के सभी निजी और सरकारी कार्यालयों में बोतलबंद पानी का उपयोग नहीं होगा। नगर निगम की जैव विविधता प्रबंधन समिति ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका पालन नहीं करने वालों से निगम जुर्माना वसूलेगा। शुक्रवार को समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में बिहार सरकार के वर्ष 2015 के आदेश को लागू करने पर चर्चा हुई। सरकार ने विभागीय बैठकों में पानी बोतल का उपयोग नहीं करने का आदेश दिया था। अभी तक इसका अनुपालन नहीं हो पाया था। सरकारी बैठकों में भी बोतलबंद पानी का उपयोग जारी रहा। अब नगर निगम जैव विविधता प्रबंधन समिति की मुहर के बाद इसे निगम क्षेत्र में लागू किया जा रहा है। 

शुरुआती दौर में नगर निगम अपने कार्यालय में इसे सख्ती से लागू करेगा। इसके बाद अन्य सरकारी और निजी बैठकों में इसे लागू करवाने पर जोर दिया जाएगा। निगम क्षेत्र में स्थित सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को पत्र भेजकर इस संबंध में अवगत कराया जाएगा। शिकायत मिलने पर पर्यावरणीय नियमों के मुताबिक जुर्माना वसूला जाएगा। प्लास्टिक का उपयोग करने वालों को जागरूक किया जाएगा। जो लोग नहीं मानेंगे उनके खिलाफ जुर्माना के साथ कार्रवाई भी की जाएगी। 

पुराने पेड़ों का किया जाएगा संरक्षण
बैठक में पेड़-पौधे, पशु-पक्षी के संरक्षण को लेकर चर्चा की गई। स्लम बस्तियों में कम से कम पांच पौधे लगाने का निर्णय लिया गया। जिसमें नीम, पीपल, बरगद के वृक्ष शामिल किए जाएंगे। पशु-पक्षियों में गौरैया, मैना, चील व अन्य जीव जंतुओं के संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया। धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थलों पर लंबी आयु वाले वृक्षों को चिह्नित कर उनका संरक्षण किया जाएगा। आगे से निगम की सभी बैठकों की शुरुआत पर्यावरण संरक्षण के लिए शपथ लेकर की जाएगी। 

गंगा रिवर फ्रंट पर वृक्षारोपण
गंगा रिवर फ्रंट पर वृक्षारोपण करने का समिति ने निर्णय लिया है। बैठक में विशेष सदस्य के रूप में उपस्थित महापौर सीता साहू ने निर्देश दिया है कि समिति की बैठक में जितने भी निर्णय लिए गए हैं, उनका सौ फीसदी पालन कराया जाए। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में नगर निगम अपनी अलग पहचान बनाएगा। 

100 प्लास्टिक की बोतल से 18 किलो सीओटू 
प्लास्टिक बोतल के निर्माण में बीशफेनॉल-ए नामक रसायन का प्रयोग किया जाता है। जो मानव शरीर के लिए खतरनाक है। बोतल का ढक्कन रिसाइकिल नहीं हो पाता है। प्रत्येक वर्ष प्लास्टिक खाने से 10 लाख से अधिक पशु-पक्षी एवं मछलियों की मौत हो जाती है। एक बोतल के निर्माण से छह किलो ग्राम कार्बनडाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है और पांच लीटर पानी का अलग से प्रयोग किया जाता है। एक बोतल का वजन 30 ग्राम होता है। अगर 100 व्यक्तियों की बैठक में पेट बोतल का इस्तेमाल किया गया है तो केवल पेट बोतल मात्र से 18 किलोग्राम कार्बनडाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन होगा। तीन किलो गैर बायो डिग्रेडेबल कचरे का उत्पादन होगा और 500 लीटर अतिरिक्त पानी का अनावश्यक उपयोग होगा।

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