निजामुद्दीन तब्लीगी जमात के स्वयंभू अमीर से coronavirus का विलेन बनने तक, मौलाना साद का विवादों से नाता

  1. तब्लीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज के साथ एक शख्स और सुर्खियों में है। यह हैं मौलाना साद। पूरा नाम मौलाना मोहम्मद साद वल्द मौलाना हारुन मूल निवासी कांधला जिला शामली (पूर्व में मुजफ्फरनगर)। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सबसे बड़े खलनायक के तौर पर उभरे तब्लीगी जमात के स्वयंभू अमीर बनने से लेकर अभी तक मौलाना साद का पुराना नाता रहा है। दरअसल, जिस देवबंदी विचारधारा से प्रेरित होकर तब्लीगी जमात की बुनियाद पड़ी मौलाना साद और उनके ख्याल इसके ही मुखालिफ खड़े हो गए। यही कारण रहा कि दारुल उलूम देवबंद ने भी माना कि मौलाना साद की कुरान और हदीस से जुड़ीं तकरीरों में उनकी निजी राय शामिल रहती है। इतना ही नहीं तब्लीगी जमात का अमीर बनने की खातिर मौलाना साद ने सारे नियम-कायदे ध्वस्त कर दिए।

तब्लीगी जमात का अमीर बनने को लेकर मौलाना साद हमेशा कटघरे में रहे हैं। दारुल उलूम नदवातुल उलमा के जैद मजाहिरी ने इस पर तब्लीगी जमात का बहम इख्तिलाफ और इत्तेहाद ओ इत्तेफाक में तफ्सील से इस बारे में लिखा है। इतना ही नहीं दारुल उलूम देवबंद ने 6 दिसंबर 2016 और दो मार्च 2018 को मौलाना साद के मुखालिफ फतवे जारी किए। ऑनलाइन जारी फतवों में स्पष्ट लिखा गया कि जांच में यह सिद्ध हो चुका है कि कुरान और हदीस का व्याख्यान मौलाना साद अपने नजरिए से करते हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पत्र लिखकर मौलाना साद की तकरीरों और अमीरीयत पर सवाल खड़े किए गए।

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