इसके बाद भी प्रशासन द्वारा सभी सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की अभी तक कोई व्यवस्था न होने से गरीबों का जीना दूभर हो गया है। ठंड के कहर से अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद नगर में एक दो जगह अलाव जलवाकर इतिश्री कर दी जा रही है। जबकि नगर पंचायतों तथा ग्रामीण इलाकों में न तो अलाव की व्यवस्था है और न ही रैन बसेरा बनवाया जा सका है। उधर सामाजिक स्तर पर कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाएं भी उदासीन नजर आ रही हैं। तड़के कोहरे की धुंध के चलते वाहन रेंगते हुए चल रहे थे। हाड़ कंपाने वाली ठंड के खौफ से पटरी दुकानदार भी शाम पांच बजते ही अपनी दुकान समेटकर घरों की ओर रवाना हो जा रहे हैं। सुबह लगभग 11 बजे धूप निकलने से लोगों को सुकून का एहसास हुआ। बाजारों में चहल पहल रही।
धूप निकलने से लोगों के चेहरे खिले
जिले में हाड़ कंपाने पड़ने वाली ठंड का कहर जारी रहने से लोगों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। सुबह सात बजे तक घना कोहरा छाया रहा। शीतलहर एवं कोहरे के कारण देेर तक घरों में दुबके रहे। पूर्वाह्न लगभग 11 बजे के बाद जब भगवान भास्कर का उदय हुआ तो लोगों ने राहत की सांस ली। धूप निकलने के बाद बाजारों में चहल पहल बढ़ी। सुबह सात बजे तक कोहरे के कारण वाहनों का संचालन काफी मुश्किल रहा, साथ ही ट्रेनों की लेटलतीफी जारी रहने से प्लेटफार्मों पर यात्री ठिठुरते नजर आए। हालांकि जिला प्रशासन की तरफ से अब तक अलाव जलाने की सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।
हाड़ कंपाऊ ठंड पड़ने का सिलसिला जारी रहने से आम लोगों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। कोहरा मंगलवार की रात आठ बजे से ही पड़ना शुरू हो गया था। कोहरा से 100 मीटर दूर की वस्तु दिखाई ही नहीं दे रही थी। सवारी वाहन चालकों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा था। बुधवार को सुबह सात बजे तक कोहरा छाया रहा। सड़कों पर इक्का दुक्का वाहन चलते देखे गए। घने कोहरे के चलते ट्यूशन पढने वाले छात्रों तथा काम पर जाने वाले लोगों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा। कोहरे के चलते भोर में चलने वाली रोडवेज बसों का संचालन प्रभावित होने से महानगरों की ओर जाने वाले लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। ट्रेनों के विलंब से चलने की वजह से प्लेटफार्म पर प्रतीक्षारत यात्रियों के लिए एक-एक पल बिताना भारी पड़ रहा है। घना कोहरा होने से बसों और ट्रेनों की गति धीमी होने से लोग निर्धारित समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।