दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना की रफ्तार भारत में थमेगी, जानिए हम कैसे जीतेंगे जंग

Coronavirus: What it does to the body - BBC News

आज पूरी दुनिया एक महामारी के दौर से गुजर रही है। वर्ष 1918 के स्पेनिश फ्लू के एक सदी बाद दुनिया एक ऐसे मोड़ पर आकर खड़ी हुई है, जहां अमेरिका, इटली, फ्रांस, स्पेन, जर्मनी और कनाडा जैसे विकसित देशों के लोग भी लगभग असहाय स्थिति में पहुंच चुके हैं। दुनिया भर में दस लाख लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के साथ ही साठ हजार से भी ज्यादा लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं।

चीन के वुहान शहर में सबसे पहले दिखा। हालांकि चीन ने पूरे प्रांत में तालाबंदी करते हुए इस वायरस पर लगभग विजय पा ली है, लेकिन उसके बाद बड़े-बड़े देश इस वायरस की चपेट में बुरी तरह फंस चुके हैं। चीन में हालांकि इस वायरस से 81,500 लोग संक्रमित हुए और 3,300 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि इटली में इस रोग से संक्रमित होने वालों की संख्या एक लाख तक पहुंच चुकी है और मरने वालों की संख्या बारह हजार तक पहुंच चुकी है।

अमेरिका के हालात तो और भी खराब हैं। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन से यह अपेक्षा थी कि वह विश्व को इस महामारी से बचाने के लिए अग्रणी भूमिका निभाएगा, मात्र एक ‘टॉकिंग शॉप’ बनकर रह गया है। इससे बेहतर तो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जिन्होंने पहले दक्षिण एशियाई क्षेत्र के शासनाध्यक्षों के साथ मिलकर और बाद में जी-20 देशों के शासन अध्यक्षों के साथ बात करते हुए साझा लड़ाई की रणनीति बनाने का प्रयास तो किया। जहां डब्ल्यूएचओ चीन के पाप को छिपाते हुए दुनिया को गुमराह करने का काम करता रहा, वहीं भारतीय नेतृत्व ने अपने बलबूते देश में प्रभावी लॉकडाउन करते हुए इस चीनी वायरस के प्रकोप को कम करने का काम शुरू कर दिया है।

स्वस्थ होने के संकेत: आज दुनिया में कुल संक्रमितों की संख्या दस लाख का आंकड़ा पार कर गई है। हालांकि बड़ी संख्या में मौत होने के बावजूद तमाम लोग इसके चंगुल से बच निकलने में सफल भी हो रहे हैं। सर्वविदित है कि मानव शरीर की विशेषता है कि उसमें रोग के विरुद्ध लड़ने की क्षमता होती है या रोग होने पर यह प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। कोरोना संक्रमण के बाद सांख्यिकी विशेषज्ञों के मॉडल को चुनौती देते हुए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत मॉडल में कहा गया है कि वास्तव में महामारी अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। इस मॉडल के अनुसार यह संक्रमण ब्रिटेन की आधी जनसंख्या तक पहुंच चुका है, लेकिन अधिकांश लोगों में इसका कोई लक्षण नहीं है अथवा कम ही लक्षण हैं। इसलिए इस बीमारी से डरने की जरूरत नहीं है। अध्ययन हालांकि लॉकडाउन का समर्थन भी करता है ताकि जो भी थोड़ा बहुत संक्रमण बचा हो, वह भी पूरी तरह से खत्म हो जाए।

भारत में संक्रमितों की संख्या अभी तीन हजार से कुछ ज्यादा है और उसकी वृद्धि दर में तब्लीगी जमात से इसके फैलने वाले कारण को छोड़ दें तो कुल मिलाकर हालात नियंत्रण में हैं। ऐसे में अगले एकाध सप्ताह तक जिम्मेदारी से और सावधानी बरतते हुए हमें भौतिक रूप से लोगों के बीच दूरी बनाए रखते हुए लॉकडाउन का पालन करना होगा। भारत का यह प्रयास दुनिया के लिए पथ प्रदर्शक सिद्ध हो सकता है।

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