दिल्ली के निजामुद्दीन में जिस तबलीगी जमात के मरकज से कोरोना पर मचा हड़कंप, जानें उसके बारे में सबकुछदिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मरकज से कोरोना के 24 मरीज मिलने के बाद हड़कंप मच गया है। 350 लोगों को राजधानी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। निजामुद्दीन मस्जिद वाले इलाके को सील कर दिया गया है। इनके संपर्क में आए 1600 लोगों को पुलिस तलाश रही है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थय संगठन की टीम ने इलाके का दौरा किया है। पुलिस ने महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
निजामुद्दीन मरकज जमात का मुख्य केंद्र
जानकारों की मानें तो भारत में तब्लीगी जमात का केंद्र निजामुद्दीन मरकज है। देश ही नहीं पूरी दुनिया से जमात (धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं) निजामुद्दीन मरकज पहुंचती है। मरकज में तय किया जाता है कि देशी या विदेशी जमात को भारत के किस क्षेत्र में जाना है।
क्या है मरकज तबलीगी जमात का मतलब
दरअसल, तबलीगी का मतलब अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला होता है। वहीं जमात का मतलब होता है एक खास धार्मिक समूह। यानी धार्मिक लोगों की टोली, जो इस्लाम के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए निकलते हैं। मरकज का मतलब होता है बैठक या फिर इनके मिलने का केंद्र।
कैसे और कब हुई शुरुआत
हजरत मौलाना इलियास कांधलवी ने 1926-27 में सुन्नी मुसलमानों के संगठन तबलीगी जमात की स्थापना दिल्ली में निजामुद्दीन स्थित मस्जिद से की थी। यहीं जमात का मुख्यालय है। इस्लाम की शिक्षा देने के लिए इलियास शुरुआत में हरियाणा के मेवात के मुस्लिम समुदाय के लोगों को पहली जमात में ले गए थे।
मरकज की 213 मुल्कों तक फैलाव का दावा
जमात से जुड़े लोगों का दावा है कि जमात दुनिया के 213 मुल्कों में फैली है और इससे दुनियाभर के 15 करोड़ लोग जुड़े हैं। बिना सरकारी मदद के संगठन का संचालन करने का दावा करते हुए इन लोगों ने बताया कि जमात अपना अमीर (अध्यक्ष) चुनती है और लोग उसी की बात मानते हैं। कहा जाता है कि यह सुन्नी मुस्लिमों का संगठन है।
1941 में जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम हुआ था
जमात का पहला धार्मिक कार्यक्रम 1941 में भारत में हुआ था। इसमें 25000 लोग शामिल हुए थे। 1940 तक जमात का कामकाज सिर्फ भारत तक ही था। इसके बाद जमात की शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश में खुल गईं। जमात हर साल देश में एक बड़ा कार्यक्रम करती है, जिसे इज्तेमा कहते हैं।
तब्लीगी जमात कैसे करती है काम
दिल्ली स्थिति तब्लीगी जमात के मरकज से ही देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के लिए तमाम जमातें निकलती हैं। ये संख्या में बांटा गया है। ये जमात कम से कम तीन दिन की होती है। उसके बाद ये संख्या पांच दिन, 10 दिन, 40 दिन और चार महीने तक की होती हैं। इसकी एक जमात यानी समूह में 8-10 लोग शामिल होते है। जिनमें दो लोग सेवा के लिए होते हैं, जो खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं। इसी जमात में शामिल लोग सुबह और शाम शहर में निकलते हैं और लोगों को नजदीकी मस्जिद में इकट्ठा होने के लिए कहते हैं। ये सुबह 10 बजे हदीस पढ़ते हैं। इनको द्वारा नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर विशेष जोर दिया जाता है।
तब्लीगी जमात से जुड़े कुछ दावे
भारत में तब्लीगी जमात का मुख्य ऑफिस दिल्ली में हज़रत निजामुउद्दीन दरगाह के पास मरकज़ के नाम से है। इस जमात से जुड़े उलेमाओं का दावा है कि मौजूदा वक्त में ऐसा कोई देश नहीं है, जहां जमात न फैला हो। दुनियाभर में जमात से करीब 15 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। उलेमाओं का ये भी कहना है कि जमात किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं लेती है। इसकी कोई भी अपनी बेवसाइट, अखबार या फिर टीवी चैनल नहीं है। जमात अपना एक अमीर यानी अध्यक्ष चुनता है, उसी के मुताबिक सारे काम या कार्यक्रम करता है।
जमात पर कब, कौन-कौन से आरोप लगे हैं
17 नवंबर, 2011
विकिलीक्स ने तब्लीगी जमात पर कई बड़े खुलासे करते हुए उसके और आतंकी संगठन अलकायदा के बीच संपर्क होने की बात कही थी। उसने दावा किया कि तब्लीगी जमात की मदद से भारत में अलकायदा के नेटवर्क से जुड़े लोगों को रुपया और वीजा हासिल किया जा रहा है। हालांकि, जमात के उलेमाओं ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि जमात सिर्फ धर्म का प्रचार-प्रसार करती है और इसी के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाती है।
18 जनवरी 2016
हरियाणा के मेवात स्थित नूहु से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अलकायदा के एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। बताया जाता है कि ये संदिग्ध अपराधी जमात में शामिल था, जो झारखंड से मेवात पहुंचा था। तब दो अन्य संदिग्धों को भी दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग जगहों से हिरासत में लिया था।
जमात से जुड़े उलेमा पर आरोप
बीते रोज जमात से जुड़े एक उलेमा पर गंभीर आरोप लगा था। जिनका नाम मोहम्मद सलमान है। आरोप था कि ये हरियाणा के पलवल में एक मस्जिद बनवा रहे थे, जिसके निर्माण में आतंकी हाफिज सईद की पैसा लगा था। ये आरोप नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) ने लगाते हुए बताया था कि इस मस्जिद के निर्माण के लिए पैसा हाफिज सईद के फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन से जुड़े एक व्यक्ति से लिया गया था, जो खाड़ी देश में रह रहा था।