बजट में की गई कटौती इस बात का संकेत है कि ट्रंप प्रशासन विदेशों को दी जाने वाली सहायता राशि के बजाय अपने रक्षा बजट को बढ़ाना चाहता है। 1.1 खरब डॉलर के प्रस्तावित बजट प्रस्ताव में ट्रंप ने 54 अरब डॉलर का खर्च सुरक्षा पर रखा है। व्हाइट हाउस के बजट निदेशक ने कहा कि – आप दलदल को नहीं हटा सकते हैं और इसमें सभी लोगों को छोड़ सकते हैं।
इसी कारण बजट में पर्यावरण सुरक्षा पर 31 फीसदी, विदेशी सहायता में 28 फीसदी और मानवीय सेवाओं पर 17.9 फीसदी की कटौती की गई है। बजट प्रस्तावों के मुताबिक अमेरिका में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान विदेशी सहायता पर 40 अरब डॉलर से अधिक खर्च करने का प्रस्ताव है।
विदेशी सहायता पर करीब 60 प्रतिशत धन आर्थिक एवं विकास सहायता और 40 प्रतिशत सुरक्षा के लिए होगा। इससे पाकिस्तान जैसे देशों को मिलने वाली अमेरिकी सहायता पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। अमेरिका में 9/11 हमले के बाद पाकिस्तान अमेरिकी विदेशी सहायता हासिल करने वाला प्रमुख देश है। दरअसल ओबामा के समय राजनीतिक निकायों को प्रभावित करने के लिए सांस्कृतिक कूटनीति का इस्तेमाल किया जाता था जबकि ट्रंप के बजट प्रस्तावों में सैन्य व आर्थिक माध्यमों से राजनीतिक निकायों को प्रभावित करने पर जोर दिया गया है। इसी कारण पाकिस्तान जैसे देशों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
पाक समेत कई देश हासिल करते रहे हैं अमेरिका से विदेशी सहायता
यद्यपि पूर्ण बजट मई में पेश होगा, लेकिन ट्रंप के बजट प्रस्तावों में अमेरिका की भावी योजनाएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। अमेरिकी सहायता प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में अफगानिस्तान (4.7 अरब डॉलर), इस्राइल (3.1 अरब डॉलर), मिस्र (1.4 अरब डॉलर), इराक (1.1 अरब डॉलर), जोर्डन (1.0 अरब डॉलर) और पाकिस्तान (74.2 करोड़ डॉलर) शामिल हैं।
विदेशों में खर्च घटाकर वहां से अमेरिका में धन लाने की योजना
अपने प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वह विदेशों में कम धन खर्च करना चाहते हैं और अधिक धन अपने देश लाना चाहते हैं। ट्रंप दूसरे देशों को धन देकर कूटनीतिक कोशिशें बढ़ाने के बजाय अपने देश में धन लाने के प्रति अधिक उत्साहित हैं। बजट प्रस्ताव इसी लक्ष्य को पूरा करने का प्रयास करता है। यह प्रस्ताव एक रूपरेखा है और पूर्ण बजट नहीं है।