जनता पर टैक्स का कसता शिकंजा

देश 2018 में प्रवेश कर गए,मोदी सरकार भी तीन साल का कार्यकाल पूरा करके जीएसटी की सौगात दे कर यह संदेश दे दिया जनता पर नए साल में टैक्स का शिकंजा कसता जायेगा.

इसी के साथ कॉर्पोरेट घरानों को छूट पर छूट दी जाती रहेगी. इससे जुड़ा हुआ सवाल यह है कि क्या नये भारत के निर्माण का बोझ जनता पर रहेगा तथा कॉर्पोरेट घराने अपनी निजी संपदा में इज़ाफा करते जायेंगे. पिछले तीन साल के अऩुभव यही इंगित कर रहें हैं. इस आम जनता में मध्यम वर्ग, उच्च मध्यम वर्ग से लेकर बड़े तथा मध्यम कारोबारी भी शामिल हैं. याद रखिये कि कॉर्पोरेट जगत के कर्णधारों के कर्ज लगातार माफ किये जा रहे हैं. नीतियां इस तरह से बनाई जा रही हैं कि इससे कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचे तथा आम जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ा दिया जाये. मिसाल के तौर पर बैंकों के डूबते हुये कर्ज तथा नोटबंदी को ही लीजिये. 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के माध्यम से 500 और 1000 के सभी नोटों को अवैध घोषित कर दिया गया तथा लोगों से कहा गया कि इन नोटों को बैंकों में जमा कराया जाये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपये के जो नोट बैंकों में जमा कराया गया है वह 15.28 खरब मूल्य का है. इस तरह से करीब 99 फीसदी नोट बैंकिंग सिस्टम में लौट आये. रिर्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के बाद नोटबंदी के आलोचक अब सवाल कर रहे हैं कि काला धन निकालने के नाम पर की गई नोटबंदी विफल रही है तथा करीब 99 फीसदी नोट बैंकों तक पहुंच ही गये हैं.

लेकिन इस नोटबंदी को यदि गहराई से देखेंगे तो नतीजा निकलेगा कि करीब 99 फीसदी 500 एवं 1000 के नोटों को बैंकिंग सिस्टम में लाने में सफलता मिल गई है. जिसका सीधा-सादा अर्थ यह होता है कि इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या में इज़ाफा होगा तथा सरकार के पास पहले की तुलना में और ज्यादा प्रत्यक्ष कर आयेगा. खुद केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा 31 अगस्त 2017 को जारी किये गये विज्ञप्ति के अनुसार नोटबंदी के बाद अघोषित आमदनी की स्‍वीकारोक्‍ति में 38 फीसदी की वृद्धि हुई है. यह आकड़ा 11,226 करोड़ रुपये से 1,54,96 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.

इसी तरह से अघोषित आय का पता लगाने के मामलों में 44 फीसदी की वृद्धि हुई है. तथा यहा आकड़ा 9654 करोड़ रुपये से 13920 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. करदाताओं द्वारा व्‍यक्‍तिगत तौर पर 5 अगस्‍त, 2017 तक ई-रिटर्न भरने की संख्‍या पिछले वर्ष इसी अवधि तक भरे गये 2.22 करोड़ ई-रिटर्न की तुलना में बढ़कर 2.79 करोड़ हो गई, जिसमें करीब 57 लाख रिटर्नों की वृद्धि दर्ज की गई अर्थात् 25.3 फीसदी की वृद्धि हुई है. समूचे वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान दायर सभी रिटर्नों (इलैक्‍ट्रॉनिक + कागज) की कुल संख्‍या 5.43 करोड़ थी जो वित्‍त वर्ष 2015-16 के दौरान दायर रिटर्नों से 17.3 प्रतिशत अधिक है.

इस तरह से नोटबंदी के माध्यम से वित्‍त वर्ष 2016-17 के लिये 1.26 करोड़ नये करदाताओं को कर आधार (30.06.2017 तक) से जोड़ा गया. उपरोक्त तमाम आकड़ें व्यक्तिगत करदाताओं के हैं इसमें कॉर्पोरेट कर शामिल नहीं हैं. दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सबसे बड़े कर सुधार का दावा करने के साथ जिस जीएसटी को लागू किया गया है उसमें पैन कार्ड तथा आधार कार्ड को अनिवार्य रूप से आपस में जोड़ दिया गया है. इस तरह से जीएसटी का स्वरूप ही ऐसा कर दिया गया है कि सेल्स टैक्स जो अब जीएसटी हो गया है इनकम टैक्स के साथ लिंक हो गया है. इससे पहले बैंक अकाउंट के साथ पैन तथा आधार नंबर को जोड़ना शुरु कर दिया गया था.पहले सेल्स टैक्स कुछ भरा जाता था तथा इनकम टैक्स कुछ और भरा जाता था उस पर नकेल कस जाने वाली है.

जीएसटी के माध्यम से आज तक देश में जो भी छोटे तथा मध्यम उद्योग-धंधे अनौपचारिक रूप से करे जाते थे उन्हें अब औपचारिक रूप से करना बाध्यता हो गई है. इस तरह से केन्द्र सरकार के पास प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष करों के रूप में पहले जितना धन आता था उससे कहीं बहुत ज्यादा आने लगेगा. जाहिर है कि जनता के इसी पैसे से साल 2022 तक न्यू इंडिया का निर्माण किया जायेगा. हम पहले से ही यह साफ करें देते हैं कि हमारी मंशा कदापि भी टैक्स चोरी को बढ़ावा देना नहीं है. हम तो बस इतना चाहते हैं कि जिस तरह से जनता से टैक्स लिया जा रहा है उसी तरह का व्यवहार कॉर्पोरेट घरानों से भी किया जाये ताकि यह आरोप न लगाया जा सके नीतियां भेदभावपूर्ण हैं.

अब जरा कॉर्पोरेट घरानों पर इसी सरकार की कितनी नज़रे इनायत है उस पर भी गौर कर लें. पिछले साल नवंबर माह में भारतीय स्टेट बैंक ने 63 कर्जदारों के 7016 करोड़ रुपयों के कर्ज को डूबा हुआ मान लिया था. जिसमें से विजय माल्या के किंगफिशर एयरलाइंस पर 1201 करोड़ रुपयों का कर्ज इसमें शामिल था. विजय माल्या कुल 9000 करोड़ रुपयों का कर्ज लेकर लंबे समय तक उन्हें वापस न लौटाकर फुर्र हो गया. स्टेट बैंक के इस 7016 करोड़ रुपयों में केएस आयल का 596 करोड़ रुपये, सूर्या फार्मास्युटिकल्स का 526 करोड़ रुपये, जीईटी पावर का 400 करोड़ रुपये और साई इंफो सिस्टम का 376 करोड़ रुपये शामिल हैं. भारतीय स्टेट बैंक ने इन सभी कर्जदारों के कर्ज को ‘टॉक्सिक लोन’ के मद में डाल दिया अर्थात् उन्हें बहीखाते से हटा दिया था.

यहां पर इसका अवश्य उल्लेख किया जाना चाहिये कि यूपीए राज में बैंकों की गैर निष्पादित संपत्ति 2.30 लाख करोड़ रुपयों की थी. यह पिछले 3 साल में बढ़कर 6.80 लाख करोड़ रुपयों का हो गया है. इस दरम्यान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों मे अडानी समूह की दो पावर कंपनियों को 15 हजार करोड़ रुपयों का नया कर्ज दे दिया गया तथा पुराने कर्ज को पटाने की समय सीमा 10 साल बढ़ा दी गई. जबकि इन कंपनियों के बैलेंसशीट देखकर ऐसा नहीं लगता कि वे इस कर्ज को चुका पायेंगे. इसी तरह से मुकेश अंबानी को 4500 करोड़ रुपयों का नया कर्ज दिया गया जिससे वे पुराने कर्ज चुकता करेंगे. बता दें कि करीब 15 लाख करोड़ की संपदा वाले मुकेश अंबानी समूह को कर्ज चुकाने के लिये नया कर्ज दिया गया. दूसरी तरफ देश के सारे किसानों द्वारा फसल के लिये 75 हजार करोड़ रुपयों का कर्ज लिया गया है जबकि अकेले अडानी की कंपनियों ने ही बैंकों से 72 हजार करोड़ का कर्ज ले रखा है. बैंकों का पैसा मतलब आम आदमी द्वारा जमा कराया गया धन से है.

अब आपको समझ में आ रहा होगा कि देश किस ओर जा रहा है या किस ओर ले जाया जा रहा है. एक तरफ जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ाया जा रहा है दूसरी तरफ जनता की गाढ़ी कमाई का जो पैसा बैंकों में जमा है उससे कॉर्पोरेट घरानों को ऐसा कर्ज दिया जा रहा है जो डूबता हुआ नज़र आ रहा है. यह ऐसे रणनीति के तहत हो रहा है जिसमें गरीब और गरीब तथा रईंस और रईंस बनते जा रहें हैं वह भी जनता के पैसों से ही. दरअसल आज़ादी के बाद की यह पहली सरकार है जो मन लगाकर कॉर्पोरेट जगत की मदद कर रही है भले ही किसान आत्महत्या करें या नोटबंदी की लाईन में लगकर 100 से ज्यादा लोग मारे जाये. दूसरी तरह देश की जीडीपी गिर रही है.
पिछले साल के आखिरी तिमाही में जीडीपी के आकड़े थे 7.9 फीसदी जो इस साल की पहली तिमाही में 5.7 फीसदी तक गिर गई है. इस तरह से देश की जीडीपी करीब 2 फीसदी गिर गई है. जिसका सीधा सा अर्थ है कि राष्ट्रीय आय में 3 लाख करोड़ रुपयों की कमी आई है. जाहिर है कि आय गिरने से जनता की क्रय शक्ति घटेगी तथा बाज़ार में मंदी आ जायेगी.

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com