गुजरात बोर्ड 10वीं कक्षा (एसएससी) में इस बार कोविड-19 महामारी के चलते सभी बच्चों को पास कर दिया गया। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि पास होने वाले बच्चों में करीब 100 विद्यार्थी ऐसे भी थे जिनके जीरो मार्क्स थे। टीओआई में प्रकाशित खबर के मुताबिक मंगलवार को घोषित किए गए गुजरात बोर्ड 10वीं कक्षा के नतीजों में इस बार करीब 100 छात्रों को 198 अंकों तक ग्रेस मार्क्स मिले।
गुजरात बोर्ड 10वीं में पास होने के लिए छह विषयों में 33-33 अंक लाना अनिवार्य होता है। लेकिन अगर इन छात्रों को 198 अंक ग्रेस मार्क्स के तौर पर मिले हैं तो इसका मतलब यह है कि इनका किसी भी विषय में एक भी अंक नहीं था। इन्हें सभी छह विषयों में 33-33 अंक ग्रेस मार्क्स मार्क्स पास किया गया।
परीक्षा रद्द करने के बाद बोर्ड ने दसवीं का परिणाम तैयार करने के लिए 40:40:20 का फॉर्मूला अपनाया। इसके तहत कक्षा नौवीं के अंक का 40 फीसदी, कक्षा 10वीं के यूनिट टेस्ट का 40 फीसदी और कक्षा 10वीं के इंटरनल असेसमेंट का 20 फीसदी लिया गया है।
गुजरात सेकेंडरी एंड हायर सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड (जीएसएचएसईबी) के अधिकारियों ने कहा कि इससे पहले विद्यार्थियों को 24 अंक तक ही ग्रेस मार्क्स दिए जाते रहे हैं। इस पर भी यह शर्त होती है कि उसके 40 फीसदी मार्क्स बन रहे हों और उसे ग्रेस मार्क्स के तौर पर 24 अंक दो ही विषयों में मिल सकेंगे।
बोर्ड के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि 198 ग्रेस मार्क्स देने का मतलब है कि विद्यार्थी के 9वीं की परीक्षा और 10वीं कक्षा के यूनिट एग्जाम में एक भी अंक नहीं था। हालांकि ऐसा होना मुश्किल है। ऐसा हो सकता है कि इन छात्रों को पंजीकरण की इजाजत दे दी गई हो और ये कभी भी स्कूल में उपस्थित न हुए हों।
बोर्ड अधिकारियों ने कहा कि करीब 45000 विद्यार्थियों को 60 से 100 के बीच ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं जबकि 1.6 लाख विद्यार्थियों को 60 तक ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं। सामूहिक रूप से बच्चों को पास करने के फैसले के बाद करीब ढाई से 3 लाख विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क्स देकर पास किया गया है।
बता दें कि इस वर्ष कुल 8,57,204 छात्रों ने पंजीकरण कराया था। बोर्ड ने सभी को पास कर दिया। इनमें से 17,186 ने ए1 ग्रेड हासिल किया। ए2 ग्रेड पाने वाले छात्रों की संख्या 57,362 रही। ज्यादातर छात्रों को सी1 और सी2 ग्रेड मिला।