अमेरिका के अमेजन नदी की शकरमाउथ कैट फिश ने गंगा में न सिर्फ स्थायी रूप से डेरा डाल लिया है बल्कि अब तो पनपने भी लगी हैं। इसके प्रमाण सोमवार को चंदौली के सकलडीहा ब्लाक के महड़ौरा गांव में गंगा किनारे बड़े आकार की शकरमाउथ कैटफिश के रूप में मिला। बीते एक साल में तीन अन्य स्थानों पर गंगा में मिली कैटफिश की तुलना में लगभग दूने आकार की है।
बरसात में गत वर्ष करीब साढ़े तीन इंच आकार वाली कैटफिश राजघाट, सूजाबाद और मारकंडेय महादेव के निकट ढकवां में मिली थीं। इन तीनों ही स्थानों से काफी दूर चंदौली में मिली कैटफिश करीब सात इंच लंबी है। वजन तीन सौ ग्राम से अधिक है। मत्यविज्ञानी डा. अरविंद मिश्र ने बताया कि बरसात के मौसम में इतने बड़े आकार की कैटफिश का मिलना गांगेय मछलियों की कई प्रजातियों के लिए खतरे की घंटी है।
भाकुर, रोहू, कतला, नयन जैसी गंगा की मछलियां बरसात में अंडे देती हैं। शकरमाउथ कैटफिश उन्हीं अंडों को चट कर जाती है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता दूत गंगा प्रहरी दर्शन निषाद ने बताया कि महड़ौरा गांव के एक मछुआरे ने यह कैटफिश पकड़ी है। इसका आकार देख कर उनकी चिंता बढ़ गई है। कुछ सप्ताह पहले ही मत्य विभाग द्वारा राजघाट और ढकवां में बड़ी मात्रा में गांगेय मछलियों के बीज छोड़े गए हैं। कैटफिश इन दोनों ही स्थानों पर पहले मिल चुकी है।