आज से खरमास प्रारंभ हो रहा है। इसे मलमास या अधिकमास भी कहते हैं। धार्मिक मान्यता है कि आज से तकरीबन एक माह तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे। खरमास की अवधि अगले वर्ष 14-15 जनवरी 2020 को समाप्त होगी। यानि तब तक विवाह, सगाई, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश एवं अन्य प्रकार के शुभ वर्जित होंगे। दरअसल धार्मिक रूप से ये समय अपवित्र होता है। इसलिए इस समय मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण
खरमास में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है और आगामी मकर संक्रांति तक इसी स्थिति में रहता है। मान्यता है कि सूर्य जब धनु राशि में होता है तो इस दौरान मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते हैं। इस अवधि में सूर्य मलीन (अशुभ) हो जाता है। मलीन सूर्य के कारण इसे मलमास भी कहते हैं।
खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। कहते हैं एक बार उनके घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक गए थे। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें यह आभास हुआ कि अगर रथ रूका तो यह सृष्टि भी रुक जाएगी।
उधर तालाब के किनारे दो गधे भी मौजूद थे। ऐसे में सूर्य देव को एक उपाय सूझा। उन्होंने घोड़ों को आराम देने के लिए रथ में गधों को जोत लिया। इस स्थिति में सूर्य देव के रथ की गति धीमी हो गई, लेकिन रथ रुका नहीं। इसलिए इस समय सूर्य का तेज कम हो जाता है। इस समय ठंड भी अपने चर्म पर होती है।
खरमास के नियम
इस महीने सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि मलमास में दान पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इस महीने गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाना चाहिए। संभव हो तो उन्हें कंबल बांटें। खरमास में गौ पूजन और गौ संवर्धन करने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।