शहरों को प्राकृतिक रूप से हरा-भरा बनाने की जिम्मेदारी निभाने के उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक नया कारपोरेशन (निगम) बनेगा। आंध्र प्रदेश के ग्रीनिंग एंड ब्यूटीफिकेशन कारपोरेशन की तर्ज पर बनने वाला यह निगम प्रदेश के शहरों को केवल सुन्दर ग्रीन सिटी ही नहीं बनाएगा बल्कि पर्यावरण का संरक्षण भी करेगा ताकि जलवायु परिवर्तन का असर कम हो सके। शहरों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। प्रस्तावित नए निगम को ‘उत्तर प्रदेश) ब्यूटीफिकेशन एण्ड लैण्डस्केपिंग कारपोरेशन’ नाम दिए जाने का प्रस्ताव है। सरकार ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है।
उद्यान विशेषज्ञ बनाएंगे खाका
नए निगम के गठन में सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इसमें शहरों को सुन्दर बनाने का खाका इंजीनियर नहीं बल्कि औद्यानिक विशेषज्ञ तैयार करेंगे। अभी विकास प्राधिकरण, आवास विकास, नगर निगम व अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यालयों, विश्वविद्यालयों आदि में पार्क व उद्यान तैयार करने या वृक्षारोपण, लैण्डस्कैपिंग के सिविल इंजीनियरों के माध्यम से कराए जाते रहे हैं, जिन्हें पेड़-पौधों के बारे में कोई जानकारी नहीं होती।
नए निगम के जिम्मे ये काम
– शहरों को हरा भरा व सुन्दर बनाने के लिए बेहतर लैण्डस्केपिंग तैयार करेगा।
– उद्यान विशेषज्ञों के सहयोग से अलग अलग प्रजातियों के वृक्ष लगाएगा।
– वैज्ञानिक तरीके से अनुभवी लोगों की देखरेख में पेड़ लगाए जाएंगे।
– शहरों में नए लगने वाले व पुराने पौधों की सुरक्षा भी करेगा।
शहरों में अवैज्ञानिक तरीके से लगे हैं
शहरों को हरा-भरा बनाने के लिए। होने वाला वृक्षारोपण बेतरतीब व बिना किसी लैण्डस्केप के किया जाता है, जिसके कई दुष्परिणाम भी सामने आए हैं। मसलन सड़कों के किनारे लगे पौधों की प्रजातियों में एल्टोनियों (चितवन) की संख्या बहुत अधिक है। इस पौधों से उत्पन्न परागकण लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। अधिकतर पौधों के ट्री गार्ड लोहे के बनवाए गए हैं। पौधों के पूर्ण विकास के बाद उन्हें हटा दिया जाना चाहिए। जो नहीं हटाए जाते और गार्ड पेड में समाहित हो जाते हैं, जिससे की आयु कम हो जाती है।