LNT (Helth desk) । भोजन में जौ का सतुआ इस्तेमाल करके विभिन्न प्रकार के रोगों से अपने को बचाव किया जा सकता है। हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को महत्वपूर्ण रूप से कम करता है. एक नए अध्ययन में इस बात का पता चला है कि जौ का सतुआ में जई की तरह ही कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव मौजूद होते हैं. शोध के निष्कर्षो के मुताबिक, शरीर में कम-घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) और गैर-उच्च घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन (नॉन एचडीएल) को सात प्रतिशत कम कर सकता है.जौ की सतुआ की पौष्टिकता को देखते हुए राजघराना एग्रो फ़ूड ने इसे तैयार करने के लिए लखनऊ में बड़ी प्लांट का निर्माण कर रही है। कम्पनी के कार्यकारी अधिकारी अभिषेक तिवारी ने बताया कि जौ का सतुआ का प्रोडक्शन जुलाई से शुरू हो जाने की अनुमान है।
कनाडा के सेंट मिशेल हॉस्पिटल से व्लादिमिर वुकसुन ने बताया, “यह निष्कर्ष टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिन्हें हृदय रोगों का जोखिम सर्वाधिक होता है. ऐसे लोगों में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य रहता है, लेकिन गैर-एचडीएल या एपोलाइपोप्रोटीन बी का स्तर उच्च होता है.
जौ का सतुआ में प्रोटीन की तुलना में दोगुना फाइबर होता है, जो वजन नियंत्रण या आहार चिंताओं का सामना कर रहे लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण है.
जौ में गेंहू के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक तत्व होते हैं। जौ के आटे में कैल्शियम, जिंक, मैग्नीशियम और पोटैशियम सहित कई खनिज तत्व होते हैं। इसमें गेहूं की तुलना में प्रोटीन भी ज्यादा होता है। जौ के आटे के इस्तेमाल से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। जौ के आटे में गेंहू की तरह ग्लूटेन नहीं होता है इसलिए ये आसानी से पच जाता है। जौ के आटे के प्रयोग से शरीर को कई रोगों से भी बचाव रहता है।
डायबिटीज में है फायदेमंद
डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे अच्छा जौ का सतुआ माना जाता है क्योंकि ये ब्लड में शुगर के लेवल को कम करता है। जौ में 8 जरूरी एमिनो एसिड्स होते हैं और घुलनशील फाइबर होते हैं जो इंसुलिन के उत्पादन में सहायक होते हैं। जौ में बीटा ग्लूकन नाम का फाइबर होता है, जो ब्लड में घुलने वाले शुगर को कंट्रोल करता है। यहां तक कि शुगर के मरीजों के लिए जौ का प्रयोग ओट्स से भी ज्यादा फायदेमंद है।
दिल की बीमारियां रहती हैं दूर
जौ का सतुआ खाने से दिल की बीमारियों की संभावना बहुत हद तक कम हो जाती है। जौ में विटामिन बी3 यानि नियासिन, विटामिन बी1 यानि थियामिन, सेलेनियम, कॉपर और मैग्नीशियम होता है जो कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। ये सभी तत्व शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करते हैं और मेटाबॉलिज्म बढ़ाते हैं, जिससे शरीर में कहीं भी खून के थक्के जमने की संभावना कम हो जाती है। दिल की बीमारियों का प्रमुख कारण रक्त प्रवाह में अनियमितता ही है।
होते हैं ढेर सारे एंटीऑक्सिडेंट्स
जौ का सतुआ में ऐसे कई एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर की कई गंभीर बीमारियों से रक्षा करते हैं। जौ में मौजूद लिग्नैन्स के कारण कैंसर रोग से बचाव होता है। ये शरीर में अंदरूनी सूजन को भी कम करता है और उम्र के असर को भी कम करता है। जौ के सेवन से शरीर में गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैं और बैड बैक्टीरिया खत्म होते हैं जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है। इससे प्रोस्टेट कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है।
राजघराना के तिवारी ने बताया कि जौ, मक्का,चना और बाजरा की सतुआ पूर्वांचल सहित बिहार के लोग इसका सेवन पहले करते इसी कारण इस इलाके के लोगो में शुगर,बीपी की बीमारियां पाई नही जाती थी। बदलते परिवेश ने लोगो के खान-पान में बदलाव और फाइबर युक्त अनाज से अलगाव ने इस बीमारी को पाव फ़ैलाने का मौका दिया।लोगों को स्वस्थ रहना है तो पुनः इन आहार यानि सतू और सतुआ को अपनाना पड़ेगा।