आर्थिक सर्वेक्षण : बिहार में बढ़ी आर्थिक विकास दर, प्रति व्यक्ति आय बढ़कर हुई 50,735 रुपए

बिहार की आर्थिक विकास दर बीते सालों में लगातार बढ़ी है। यह बढ़ोतरी राष्ट्रीय आर्थिक विकास दर की तुलना में अधिक है। इसका अच्छा असर राज्य में प्रति व्यक्ति आय पर भी पड़ा है। यह वर्ष 2019-20 में प्रति व्यक्ति 50,735 रुपए वर्तमान मूल्य पर हो गया। वहीं, वर्ष 2018-19 में 47,641 रुपए था। वहीं, स्थिर मूल्य पर वर्ष 2019-20 मे 34,413 दर्ज किया गया, जबकि वर्ष 2018-19 में यह 31,626 रुपए था।

शुक्रवार को राज्य सरकार द्वारा विधानमंडल में पेश 15वें आर्थिक सर्वेक्षण (2020-21) की रिपोर्ट के अनुसार स्थिर मूल्य पर राज्य की आर्थिक विकास दर 10.5 प्रतिशत और वर्तमान्य मूल्य पर 15.4 फीसदी है। यह वृद्धि की तुलना में अधिक है। राष्ट्रीय स्तर विधानसभा में यह रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री तारकिशोर प्रसाद और विधान परिषद में प्रभारी मंत्री शाहनवाज हुसैन ने सदन के पटल पर रखी।

प्रति व्यक्ति आमदनी में पटना शीर्ष तो शिवहर सबसे निचले पायदान पर
प्रति व्यक्ति आय के मामले में राज्य में पटना शीर्ष पर है, जबकि शिवहर सबसे निचले पायदान पर है। पटना और शिवहर में प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद में छह गुना का अंतर है। पटना के बाद दूसरे नंबर पर बेगूसराय और तीसरे पर मुंगेर है। 15वीं आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में इस बार वर्ष 2011-12 के मूल्य पर जिलावार प्रति व्यक्ति सकल जिला घरेलू उत्पाद के वर्ष 2017-18 तक के आंकड़े दिए गए हैं।

वर्ष 2013-14 में पटना की प्रति व्यक्ति आय 91407 रुपए थी तो शिवहर की 15609 रुपए। प्रति व्यक्ति आय के लिहाज से पटना, बेगूसराय और मुंगेर सर्वाधिक उन्नतिशील जिले हैं। हालांकि पटना और मुंगेर की प्रति व्यक्ति आय में भी करीब तीन गुना का अंतर है। पटना में वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा 1,12,604 रुपए, बेगूसराय में 45540 और मुंगेर में 37385 रुपए था। वहीं सबसे निचले पायदान पर स्थित शिवहर में प्रति व्यक्त आय 17569 रुपए है। 

इस बार रिपोर्ट में 13 अध्याय
बतौर वित्तमंत्री पहली आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सदन में रखने वाले उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि इस बार रिपोर्ट में 13 अध्याय हैं। खास बात यह है कि हर अध्याय के अंत में कोरोना काल में महामारी के असर और उसके प्रभाव को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के प्रभाव का उल्लेख किया गया है। कहा कि वर्ष 2019-20 में वर्तमान मूल्य पर बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) 6,11,804 करोड़ और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4.14.977 करोड़ रुपए रहा। वर्ष 2018-19 में वर्तमान मूल्य पर आर्थिक विकास दर 15.1 प्रतिशत दर्ज की गई थी जो 2019-20 में बढ़कर 15.4 फीसदी हो गई। इसका असर प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद पर भी पड़ा है। 

इन क्षेत्रों की वृद्धि दरें (प्रतिशत में)

वायु परिहन क्षेत्र35.6
पथ परिवहन क्षेत्र20.1
परिवहन समकक्ष सेवाओं19.7
परिवहन-भंडारण-संचार व 5 प्रसारण सेवाओं16.2
लोक प्रशासन15.8
अन्य सेवाओं13
खनन एवं उत्खनन297.7
पशुधन                             13.1
विद्युत, गैस, जलापूर्ति, व अन्य जनोपयोगी सेवाओं20.8
निर्माण सेक्टर13.2

तय सीमा के अंदर रहा राजकोषीय घाटा
बिहार में राजकोषीय घाटा निर्धारित सीमा के अंदर ही रहा। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2019-20 में बिहार में राजकीय वित्त व्यवस्था के प्रबंधन में बिहार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2006 के संकल्पों का पालन किया गया। इस वर्ष राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का दो फीसदी रहा। इसे तीन फीसदी से कम होना जरूरी है।

अगले सर्वेक्षण में दिखेगा कोरोना का असर
बिहार की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का असर अगले साल होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में दिखेगा। 15वें आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020-21 में बिहार की अर्थव्यवस्था के विकास के मौजूदा रुझानों में अंतर आना निश्चित है।

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