राजधानी लखनऊ में आयुष्मान योजना में निजी अस्पताल रुचि नहीं ले रहे हैं। तमाम प्रयास के बाद अब तक सिर्फ 129 निजी अस्पतालों का पंजीयन हो पाया है। स्वास्थ्य विभाग निजी अस्पताल संचालकों को प्रोत्साहित करने का दावा कर रहा है।
राजधानी में करीब 1200 से अधिक निजी अस्पताल पंजीकृत हैं। इसमें 50 फीसदी से ज्यादा 30 बेड वाले हैं। इन अस्पतालों को आयुष्मान भारत योजना में पंजीकृत किया जाना है। तमाम प्रयास के बाद भी अब तक कुल 159 अस्पताल योजना में शामिल हो पाए हैं, इसमें 129 निजी अस्पताल शामिल हैं।
सरकारी क्षेत्र में एसजीपीजीआई, केजीएमयू, लोहिया संस्थान सहित 30 अस्पताल पंजीकृत हैं। योजना में अब तक 13805 मरीजों का इलाज किया गया है। इसमें निजी अस्पताल की भागीदारी बेहद कम है। 129 अस्पतालों ने मिलकर सिर्फ 7172 मरीजों का इलाज किया, जबकि 30 सरकारी अस्पतालों ने 6633 मरीजों का इलाज किया।
खास बात यह है कि निजी अस्पतालों ने गंभीर रोगियों का इलाज करने के बजाय उन्हें रेफर करने में रुचि दिखाई है। इसके पीछे कभी पैकेज की कमी का हवाला दिया जाता है तो कभी कड़े नियमों की। फिलहाल राजधानी में पंजीकृत ज्यादातर मरीज सरकारी अस्पताल के हवाले हैं।
आधे से अधिक को नहीं मिला गोल्डन कार्ड
योजना शुरू होने के करीब डेढ़ साल बाद भी राजधानी के आधे से अधिक लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड मुहैया नहीं कराया जा सका है। स्वास्थ्य विभाग इसके लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाने एवं शिविर आयोजित होने का दावा करता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह यह है कि अभी तक 50 फीसदी लाभार्थियों को ही गोल्डन कार्ड मिल पाया है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक योजना में लखनऊ में 279930 परिवार पंजीकृत हैं। इन परिवारों को 2011 की जनगणना के आर्थिक आधार पर शामिल किया गया है। इसमें 108609 परिवारों को गोल्डन कार्ड जारी कर दिया गया है।
इसमें सूचीबद्ध अस्पतालों ने 86958 कार्ड व सुविधा केंद्रों ने 21651 कार्ड जारी किए हैं। बाकी बचे 172328 परिवारों को गोल्डन कार्ड बांटने के लिए आशा एवं एनएएनएम को लगाया गया है। इसके लिए सरकारी चिकित्सालयों पर शिविर भी लगाए जा रहे हैं। सीएमओ ने बताया कि चयनित लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।
यह है योजना
योजना के तहत चयनित लाभार्थी परिवार को सालभर में पांच लाख तक का इलाज उपलब्ध कराया जाएगा। यह लाभ परिवार के किसी भी सदस्य को मिल सकता है। इसके लिए सरकारी और निजी अस्पताल पंजीकृत किए गए हैं। पंजीकृत अस्पताल में ही मरीज को योजना के तहत लाभ मिलेगा।
धरातल पर नहीं उतर सकी योजना
केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री जन अरोग्य योजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत चयनित परिवार के सदस्यों का पांच लाख रुपये तक का इलाज किया जाता है। सरकारी अस्पतालों के साथ ही योजना में चयनित अस्पताल में भी कार्ड धारक परिवार के सदस्य इलाज करा सकते हैं।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत एक अप्रैल 2018 को की थी। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (बीपीएल) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। लेकिन अभी तक इस योजना को धरातल पर नहीं उतारा जा सका है।
लाभार्थियों को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी लिए अमर उजाला ने नए अभियान की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य योजना में आ रही समस्याओं को सामने लाना और उनसे निराकरण की दिशा में काम करना है, जिससे लाभार्थियों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।
निजी अस्पतालों से चल रही बात
सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि आयुष्मान योजना में निजी अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में काम किया जा रहा है। पंजीयन के लिए निजी अस्पताल संचालकों की बैठकें कराई जा रही हैं। उन्हें इसके फायदे भी समझाए जा रहे हैं। योजना में उन्हीं अस्पतालों को शामिल किया जा रहा है, जो सभी मानकों को पूरा करते हैं।
नियम कड़े और पैकेज की दर कम
आईएमए के सचिव डॉ. जेडी रावत का कहना है कि योजना के लिए आवेदन करने वाले तमाम निजी अस्पताल छंट भी जाते हैं। इसके मानक काफी कड़े हैं। सभी मानकों पर खरे उतरने वालों को ही इसमें शामिल किया जाता है।
दूसरी बात यह है कि इसके पैकेज की दरें काफी कम हैं। इस वजह से भी कुछ अस्पताल रुचि नहीं लेते हैं। हालांकि आईएमए ने सभी चिकित्सकों एवं चिकित्सालय संचालकों से आयुष्मान के मानकों को पूरा कर पंजीयन कराने की अपील की है।
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