23 अप्रैल को एफएसडीए व पुलिस ने संयुक्त रूप से नाका हिंडोला में छापेमारी कर रेमडेसिविर इंजेक्शन के अवैध कारोबार का भंडाफोड़ किया था। पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था। इनके पास से 115 रेमडेसिविर इंजेक्शन जब्त किए थे। इनका बैच नम्बर 7605804 बी था। इसी तरह अलग-अलग तारीखों में अमीनाबाद और ठाकुरगंज में रेमडेसिविर के 89 इंजेक्शन पकड़े गए थे। इंजेक्शन की गुणवत्ता परखने के लिए जांच कराई गई। राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला में नमूने भेजे गए। इनकी रिपोर्ट आई। जांच में इंजेक्शन नकली पाए गए।
कोरोना काल में जब मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट और वेंटिलेटर पर एक-एक सांस के लिए जंग लड़ रहे थे। फेविमैक्स, रेमडेसिविर समेत दूसरे इंजेक्शन के लिए धक्के खा रहे थे, तब दवा के अवैध कारोबारियों ने तीमारदारों की बेबसी का फायदा उठाया। नकली रेमडेसिविर व दवाएं महंगी कीमत पर बेंची। यूपी में बड़े पैमाने पर धंधेबाजों ने नकली रेमडेसिविर व दवाएं खपा डालीं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने छापेमारी की। शक के आधार पर दवाओं की जांच कराई गई। जांच रिपोर्ट में इंजेक्शन व दवाएं नकली पाई गईं हैं। इन दवाओं में क्या रसायन मिलाया गया है? इसकी जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।
इंजेक्शन भी निकला घटिया
25 मई को एफएसडीए को गाजीपुर में छापेमारी की थी। यहां कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल में दिए जाने वाले इंजेक्शन सिप्रेमी बरामद हुए। मौके पर से चार लोग पकड़े गए। बरामद इंजेक्शन में दो बैच नम्बर दर्ज थे। पहला एल 610145 और दूसर एल 610134 बैच नम्बर था। कुल 22 वॉयल मिले थे। यह इंजेक्शन भी मानकों के खिलाफ मिला।
फेविमैक्स नकली
30 जून को कोरोना मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा फेविमैक्स-400 की गोलियां छापेमारी के दौरान बरामद की गईं थी। पुलिस व एफएसडीए की टीम ने मानसनगर में बड़े पैमाने पर दवाओं के अवैध कारोबार का खुलासा किया था। नकली दवा के शक में जांच कराई गई। 22 मई को राजकीय जन विश्लेषक प्रयोगशाला से दवाओं की जांच रिपोर्ट आई जिसमें दवा संदिग्ध व नकली पाई गई।
इंजेक्शन व दवाएं दीं, फिर भी मरीज की मौत
छापेमारी से पहले धंधेबाजों ने बड़े पैमाने पर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन व दूसरी कोरोना दवाएं तैयार कीं। पूरे प्रदेश में इन दवाओं का कारोबार हुआ। महंगी दर पर इंजेक्शन और दवाएं बेची गईं। इंजेक्शन व दवाएं नकली होने की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ। बड़ी संख्या में मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर दवाएं और रेमडेसिविर की डोज दी गई। इसके बावजूद मरीजों की जान नहीं बची। अब डॉक्टर भी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि कहीं मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की वजह से नुकसान नहीं हुआ है।