अविमुक्तेश्वरानंद बोले- जांच तक चंपत राय को हटाएं, यहां प्राचीन मंदिरों की खरीद-फरोख्‍त भी गलत :अयोध्या

श्री रामजन्मभूमि परिसर के आसपास प्राचीन मंदिरों की खरीद-बिक्री को रोकने के लिए विधिक कार्यवाही की तैयारी हो शुरू गई है। इस कार्यवाही के लिए शारदा व द्वारिका पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बुधवार को अयोध्या पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर जमीन खरीद विवाद के संदर्भ में एक ज्ञापन सौंपा। 

इसके बाद सरयू दर्शन कर निर्मोही अखाड़ा की ओर से रामजन्मभूमि का मुकदमा लड़ने वाले वयोवृद्ध अधिवक्ता रणजीत लाल वर्मा के घर पर उनसे भेंट की। इसके उपरांत उन्हें और उनके पुत्र तरुणजीत वर्मा को अपना वकील नामित करते हुए प्राचीन मंदिरों के रक्षा का आग्रह किया।

इस मौके पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राममंदिर के लिए आए चंदे के पैसे से ट्रस्ट जमीन और मंदिर खरीद रहा है। मंदिर के पैसे से भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। ट्रस्ट पर लगे घोटाले के आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

जब तक जांच पूरी नहीं होती तब तक केंद्र सरकार रिसीवर नियुक्त करे या फिर ट्रस्ट के अध्यक्ष को अधिकार दे। इसके साथ ही घोटाले के आरोपी ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र को पद से हटाया जाए।

उन्‍होंने कहा कि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को रामभक्तों ने मंदिर निर्माण के लिए चंदा दिया है। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण के नाम पर प्राचीन मंदिरों की खरीद- फरोख्त कर साधुओं को वहां से विस्थापित कर रहा है।

यह अनुचित कार्य है। मंदिर के मालिक भगवान हैं। उस मंदिर में नियुक्त सेवइयत या पुजारी भगवान की  सेवा के लिए हैं। उन्हें मंदिर बेचने का अधिकार भी नहीं है। उन्होंने कहा कि मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होती है। भगवान की प्रतिष्ठा में यह संकल्प होता है कि आसेतु हिमाचल, चंद्र-दिवाकर: तक वह विराजमान रहेंगे।

फिर कैसे उन्हें हटाया जा रहा है। उन्होंने यह सवाल भी पूछा कि प्राण-प्रतिष्ठित मूर्तियां कहां ले जाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मंदिर की अपनी विशेषता होती है। किसी में दिव्यता होती है तो किसी में पवित्रता व सादगी होती है। श्रद्धालुगण सभी स्थानों में जाते हैं और अपनी-अपनी प्रकृति के अनुसार अलग-अलग अनुभूति करते हैं।

इस मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता वर्मा ने भी दावा किया कि मंदिरों को न बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है। अधिवक्ता वर्मा, स्वामी से मिलकर अभिभूत नजर आए।

उन्होंने आर्शीवाद मांगा तो स्वामी ने अपने गले से रुद्राक्ष की माला निकालकर उन्हें पहना दी। इस दौरान अधिवक्ता तरुणजीत ने आचार्य का स्वागत किया। उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता  संजय पाठक, पूर्व विधायक पवन पाण्डेय, शिवसेना के प्रदेश प्रभारी व पूर्व जिला पंचायत सदस्य संतोष दुबे भी मौजूद रहे।

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