चीन लड़ाकू विमान उद्योग में धमाकेदार तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को तैयार है। पिछले सप्ताह उसने लिओनिंग प्रांत के शेनयांग में पांचवीं पीढ़ी के एफसी-31 जिरफाल्कन स्टील्थ लड़ाकू विमान का परीक्षण किया है।
चीन रडार की पकड़ में आने वाले इस विमान को अमेरिकी लड़ाकू विमानों की तुलनामें आधी कीमत पर बेचेगा। पाकिस्तान इसे खरीदने में रुचि दिखा चुका है। भारत के पास अभी स्टील्थ लड़ाकू विमान नहीं है।
सरकारी समाचार पत्र “चाइना डेली” की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शेनयांग एयरक्राफ्ट इसका निर्माण कर रहा है। यह एविएशन इंडस्ट्री कॉरपोरेशन ऑफ चाइना (एवीआईसी) का हिस्सा है। इसे पूर्व में जे-31 के नाम से जाना जाता था।
चीन नवंबर, 2015 में 14वें दुबई एयरशो में एफसी-31 का प्रदर्शन कर चुका है। रिपोर्ट में एफसी-31 को मौजूदा समय में पांचवीं पीढ़ी का सबसे उन्नत विमान बताया गया है। चीन अक्टूबर, 2012 में इसे पहली बार दुनिया के सामने लाया था। एवीआईसी का मुख्य उद्देश्य लड़ाकू विमान निर्यात के क्षेत्र में अपनी पैठ बनाना है। फिलहाल इस सेक्टर में अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों का एकाधिकार है।
प्रतिस्पर्धी विमानों से आधी है कीमत
एफसी-31 को अमेरिकी एफ-35 लाइटनिंग-2 का प्रतिद्वंद्वी माना जा रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो इसकी कीमत प्रति विमान तकरीबन सात करोड़ डॉलर (करीब 474 करोड़ रुपये) है। यह एफ-35 की तुलना में आधी है। यूरो फाइटर टाइफून और राफेल का मूल्य तकरीबन दस करोड़ डॉलर है। अमेरिका एफ-35 का निर्यात सिर्फ सहयोगी देशों को ही करता है।
चीनी विशेषज्ञों ने गिनाईं खूबियां
– स्टील्थ होने के कारण यह रडार की पकड़ में नहीं आएगा।
– एफसी-31 में दो इंजन हैं।
– यह 28 मीट्रिक टन भार लेकर 1.8 मैक (ध्वनि से 1.8 गुना तेज गति) की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है।
– एफसी-31 लड़ाकू विमान एक समय में 12 मिसाइलें ले जा सकता है।