पत्नियां अब भी काली कमाई को छिपाने का सुरक्षित ठिकाना बनी हुई हैं। यूपी के दो बहुचर्चित मामलों की जांच में भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आरोपी अफसरों की पत्नियों के आर्थिक साम्राज्य का पता चला है। ये पत्नियां कामकाजी न होकर भी करोड़ों की कंपनियों और ट्रस्टों का ‘बखूबी’ संचालन कर रही थीं। ईडी के लखनऊ जोन कार्यालय की टीम नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह के बाद अब गोमती रिवर फ्रंट के आरोपियों के विरुद्ध मनी लांड्रिंग की जांच कर रही है। दोनों ही मामलों में ईडी संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई कर चुकी है। यादव सिंह के मामले में तो चार्जशीट भी दायर हो चुकी है। दोनों ही मामलों में जांच के दौरान पता चला कि आरोपियों के नौकरी में आने के समय तो उनकी पत्नियां कामकाजी नहीं थीं लेकिन बाद के दिनों में तो जैसे उनमें वित्तीय प्रबंधन के पंख ही लग गए। यादव सिंह की पत्नी का नकदी लेनदेन दस करोड़
ईडी अब तक यादव सिंह, उनकी पत्नी और उनके अन्य करीबियों की लगभग 21.5 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियां जब्त कर चुकी है। इसमें यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता की गार्मेंट की कंपनी और ट्रस्ट से जुड़ी संपत्तियां भी शामिल हैं। इन कंपनियों में काला धन खपाने के लिए शेयरहोल्डर्स से फर्जी तौर पर नकदी लेन-देन किया गया। यह नकदी लेन-देन लगभग 10 करोड़ रुपये के करीब था।