आगरा के सुरेश चौहान के बेटे सचिन चौहान की हत्या की योजना पिछले एक महीने से बनाई जा रही थी। वर्ष 2015 में आई अजय देवगन की फिल्म दृश्यम से हत्यारोपियों ने यह आइडिया लिया कि लाश न मिले तो पुलिस कुछ नहीं कर सकती है। सचिन कागजों में गुमशुदा ही रहेगा। लाश दफनाते तो पकड़े जाने पर मिल सकती थी इसलिए उसे जला दिया। जलाना कैसे है इस पर पूरा दिमाग चाइना से लौटे कारोबारी सुमित आसवानी ने लगाया था।
25 वर्षीय सचिन चौहान 21 जून को लापता हुआ था। 23 जून को यह मामला एसटीएफ आगरा यूनिट के सुपुर्द किया गया था। 27 जून की देर रात हत्याकांड का खुलासा हुआ था। 28 जून को सचिन के पिता के पार्टनर के बेटे हर्ष चौहान, सुमित आसवानी, हैप्पी खन्ना, रिंकू और मनोज बंसल को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। दयालबाग के गांव खासपुर के पानी प्लांट में सचिन की हत्या की गई थी। वहां फोरेंसिक टीम को हत्यारोपियों के बाल, फुट और फिंगर प्रिंट, सचिन का एटीएम कार्ड, शराब की खाली बोतल और गिलास आदि सामान मिला था।
रशियन डांसर का लालच देकर बुलाया था पार्टी में
एसटीएफ के इंस्पेक्टर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि हत्यारोपियों ने पुलिस को घुमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। सर्विलांस से सही समय पर कुछ सुराग मिल गए। एसटीएफ ने उनकी पुष्टि में जुटी तो वारदात खुल गई। हत्याकांड में शामिल सुमित आसवानी और हर्ष चौहान बेहद शातिर हैं। पिछले करीब एक महीने से सुमित और हर्ष यह योजना बना रहे थे कि सचिन चौहान को ठिकाने लगाना है। सचिन और सुमित आसवानी के बीच विवाद हो गया था। सचिन ने उसके पास जाना बंद कर दिया था। इसलिए उसे पार्टी का प्रलोभन देकर बुलाया गया। उससे यह भी कहा गया कि रशियन डांसर बुलाई हैं। सुमित और हर्ष ने फिल्म दृश्यम से यह आइडिया लिया कि पुलिस को किसी भी सूरत में लाश नहीं मिलनी चाहिए।
शव बरामद ही नहीं हो इसलिए कोरोना बताकर किया अंतिम संस्कार
पहले हत्यारोपियों की योजना यमुना में लाश फेंकनी की थी। बाद में उन्हें लगा कि शव मिल गया तो गड़बड़ हो जाएगी। यह पता चल जाएगा कि सुमित की हत्या हो गई है। जब लाश नहीं मिलेगी तो कोई यह नहीं सोचेगा कि वह मर गया है। आरोपित से फिरौती वसूल लेंगे। पुलिस क्या कर रही है, घरवाले क्या कर रहे हैं इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी हर्ष ने ली थी। सुमित आसवानी ने लाश को कैसे जलाना है यह बताया था। हाल ही में उसके कई पहचान वालों की कोरोना से मौत हुई थी। उसे पता था कि चंद लोग ही अंतिम संस्कार के लिए जाते हैं। कोई सवाल जवाब नहीं पूछता है। सिर्फ मरने वाले का नाम और पता पूछते हैं। कोई प्रमाण पत्र भी नहीं मांगते हैं। इंस्पेक्टर न्यू आगरा भूपेंद्र बालियान इस मुकदमे की विवेचना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सचिन चौहान का मोबाइल अभी बरामद नहीं हुआ है। मनोज बंसल मोबाइल लेकर कानपुर की तरफ गया था। उसे रिमांड पर लिया जाएगा। उसके बाद मोबाइल बरामद किया जाएगा। इस केस में सभी आरोपित पकड़े जा चुके हैं। पुलिस ठोस साक्ष्यों के आधार पर जल्द चार्जशीट लगाएगी।