बिहार के शहरों को कचरे के उन ऊंचे-ऊंचे ढेरों से मुक्ति मिलेगी। यह कूड़े के वे ढेर हैं, जो सालों से बढ़-बढ़कर पहाड़ बन चुके हैं। राजधानी पटना से इसकी शुरुआत की जा रही है। राज्य में सबसे पहले विरासत कचरे (लीगेसी वेस्ट) के ट्रीटमेंट का काम पटना से शुरू होने जा रहा है। इसके लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पटना के बाद मुजफ्फरपुर में विरासत कचरे के ट्रीटमेंट का काम शुरू होगा।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) विरासत कचरे को लेकर बेहद गंभीर है। ट्रिब्यूनल का आदेश है कि सभी शहरी निकाय अपने यहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स-2016 का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराएं। यह नियमावली कचरा और मलबा प्रबंधन से जुड़ी है। राज्य के शहरी निकायों की बात करें तो इस दिशा में काम तो शुरू हुआ है मगर मंजिल अभी काफी दूर है। किसी भी शहर में कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था न होने के कारण कूड़े के बड़े-बड़े ढेर लग गए हैं। वर्षों या यूं कहें कि दशकों से लग रहे इन ढेरों को विरासत कचरा नाम दिया गया है।
लीगेसी वेस्ट के इन ढेरों के कारण जल और वायु दोनों तरह का प्रदूषण फैल रहा है। लंबे समय से सड़ रहे कचरे ने भूगर्भ जल तक को प्रभावित कर दिया है। इसके अलावा उसमें जहरीली गैस बनने के कारण अक्सर कचरे के यह ढेर सुलगते रहते हैं। नगर विकास एवं आवास विभाग के निर्देश पर पटना ने लीगेसी वेस्ट के उपचार की प्रक्रिया शुरू कर दी है। फिर मुजफ्फरपुर और बाकी शहरों में भी इसे किया जाएगा।
बेरिया में लगेगा प्लांट
पटना नगर निगम की ओर से विरासत कचरे के बायो मायनिंग विधि से उपचार के लिए एजेंसी चयन को आवेदन मांगे गए हैं। बेरिया में 300 टन क्षमता का प्लांट स्थापित किया जाएगा। प्लांट स्थापित करने के साथ ही उसके ऑपरेशन और मेंटीनेंस भी एजेंसी को करनी होगी। इसके अलावा वहां कंपोस्ट बनाने का प्लांट भी लगेगा। इसके लिए 10 मार्च को प्री-बिड मीटिंग आयोजित की गई है।