
प्राचीन लिपियों को समझने में क्रांतिकारी बदलाव करते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ने छोटी काशी मंडी के त्रिलोकीनाथ मंदिर में रखे लगभग 500 वर्ष पुराने शिव स्तुति शिलालेख का रहस्य खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मंडी के टांकरी और मंडी कलम लिपि के संरक्षक पारूल अरोड़ा ने डेढ़ वर्ष के शोध कार्य के दौरान एआई आधारित शब्द-पहचान, पंक्ति-विश्लेषण और अक्षर-रूप तुलना तकनीकों का सहारा लेकर इस जटिल शिलालेख को पढ़ने में सफलता हासिल की है। देवलिपि कही जाने वाली टांकरी लिपि में उत्कीर्ण यह शिलालेख 16 पंक्तियों का है। इसकी 13वीं पंक्ति में अंकित 4622 कलि संवत के आधार पर इसका समय 505 वर्ष पुराना सिद्ध होता है। लेख में भगवान शिव और गणेश की स्तुति, कल्याणकारी मंत्र और जीवनोपयोगी शिक्षाएं अंकित हैं।
पारूल ने इसकी जानकारी भारतीय पुरातत्व विभाग शिमला और उपायुक्त मंडी को भेजकर शिलालेख के वैज्ञानिक संरक्षण की मांग की है। जिला प्रशासन ने इस विषय को भाषा विभाग को भेज दिया है, ताकि इसका आधिकारिक अनुवाद और विस्तृत अध्ययन आगे बढ़ सके। पारूल का कहना है कि इस लेख में शारदा मूल के अनेक संयुक्त अक्षर मौजूद हैं, जिनके अध्ययन में एआई ने काफी सहारा दिया। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में मौजूद टांकरी शिलालेखों को भी एआई की सहायता से देवनागरी में रूपांतरित करने की मांग की है।
पहले शिलालेख को पढ़कर शब्द निकाले। इसके बाद शब्द संस्कृत में बनाए। कई एआई टूल की मदद से शब्दों व लाइनों को जोड़ने के बाद डेढ़ साल बाद इसमें सफलता मिली। सॉफ्टवेयर को इन प्राचीन धरोहरों के लिए बनाया जाना चाहिए, ताकि प्राचीन धरोहरों को नई पीढ़ी के सामने लाया जा सके।
तीन मुख वाली मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है त्रिलोकीनाथ मंदिर
मंडी का त्रिलोकीनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर त्रिमुखी (तीन मुख वाली) शिव की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जिस कारण मंदिर का नाम त्रिलोकीनाथ पड़ा। यह मंडी के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है और इसे 1520 ईस्वी में राजा अजबर सेन की रानी सुल्तान देवी ने बनवाया था। यह मंदिर पुरानी मंडी में बस स्टैंड से लगभग एक किलोमीटर दूर ब्यास नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है।
				


